
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मंगलवार को महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से जुड़े मामलों के त्वरित निपटारे के लिए एक बड़ा फैसला किया है। राष्ट्रीय राजधानी में कुल 53 fast track courts विशेष अदालतों की स्थापना की जाएगी। उन्होंने बताया कि इस संबंध में आदेश तत्काल प्रभाव से जारी किए जा चुके हैं।
सोलह ऐसी अदालतें, जो अस्थायी आधार पर काम कर रही हैं, उन्हें भी स्थायी अदालतों में बदल दिया जाएगा।
गुप्ता ने साझा किया कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों से जुड़े 17,000 से अधिक मामले वर्तमान में अदालतों में लंबित हैं। इससे पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय में देरी हो रही है।
यह मामला कुछ महीने पहले उपराज्यपाल वी के सक्सेना की अध्यक्षता में महिला सुरक्षा कार्यबल की एक बैठक में चर्चा का विषय था। उपराज्यपाल ने निर्देश जारी कर कहा था कि महिला सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में तत्काल ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।
मुख्यमंत्री ने यह भी जोड़ा कि सरकार ने यह सुनिश्चित करने का भी फैसला किया है कि इन अदालतों के लिए सभी आवश्यक बुनियादी ढांचा, न्यायिक अधिकारी के पद और सहायक कर्मचारियों की नियुक्ति शीघ्रातिशीघ्र पूरी कर ली जाए। कानून विभाग ने पहले ही एक प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग को भेज दिया है।
इसमें 53 न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति शामिल है, जो जल्द ही पूरी हो जाएगी।
गुप्ता ने बताया कि ये अदालतें मुख्य रूप से पॉक्सो अधिनियम, 2012 और बलात्कार के मामलों की सुनवाई करेंगी। इनमें भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और भारतीय न्याय संहिता की धारा 64 के तहत केस शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि पीड़ितों को न्याय पाने के लिए वर्षों इंतजार न करना पड़े।
यह निर्णय न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे लंबित मामलों के निपटारे में मदद मिलने की उम्मीद है।
नए फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना से न्याय प्रणाली में दक्षता आएगी। पीड़ितों को त्वरित न्याय मिल सकेगा।
सरकार का यह कदम महिला सुरक्षा को लेकर गंभीरता को दर्शाता है। यह पहल समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश है।
इन अदालतों के शीघ्र गठन पर जोर दिया जा रहा है। सभी विभाग इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं।
इस पहल से दिल्ली की न्यायपालिका मजबूत होगी। आम जनता का विश्वास बढ़ेगा।
महिला और बाल सुरक्षा के मामलों को अब और प्राथमिकता मिलेगी। इससे अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई तेज होगी।