
नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले में खुफिया विफलता, बिहार स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) और अमेरिकी राष्ट्रपति की भारत-पाकिस्तान संबंधी टिप्पणियों को लेकर विपक्ष के हंगामे की आशंकाओं के बीच केंद्र सरकार संसद के मॉनसून सत्र में आठ से अधिक महत्वपूर्ण बिल पेश करने की तैयारी में है। सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा।
विपक्षी दल हाल में हुए पहलगाम आतंकी हमले, अहमदाबाद विमान हादसे, एसआईआर अभ्यास, ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में मध्यस्थता के दावों को लेकर संसद में मुद्दे उठाने को आमादा नजर आ रहे हैं।
हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि सरकार संसद में ऑपरेशन सिंदूर और इसके उद्देश्यों की प्राप्ति में मिली सफलता पर चर्चा से पीछे नहीं हटेगी।
लेकिन विपक्ष के एक वरिष्ठ सूत्र ने मंगलवार को कहा कि विपक्ष पहलगाम आतंकी हमले में खुफिया विफलता पर भी चर्चा की जिद कर सकता है, जिसे सरकार द्वारा मान लेने की संभावना नहीं है और इससे सत्र के दौरान हंगामा हो सकता है।
मॉनसून सत्र में पेश किए जाने वाले बिलों में कुछ अहम कानूनी सुधार और सामाजिक कल्याण से जुड़ी योजनाएं शामिल होने की उम्मीद है। सरकार इन बिलों को लेकर विपक्ष से सहयोग की अपील कर सकती है ताकि सत्र के दौरान कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह अगले आम चुनावों से पहले का आखिरी बड़ा सत्र हो सकता है। ऐसे में सरकार और विपक्ष दोनों ही अपने अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे।
पिछले कुछ सत्रों की तरह इस बार भी संसदीय कार्यवाही में व्यवधान और स्थगन की आशंका जताई जा रही है। संसद सत्र के दौरान होने वाली बहसों और चर्चाओं पर देशभर की नजरें टिकी होंगी।