असम के कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) में शुरू हुआ Ambubachi mela, तीन दिन तक बंद रहेंगे मंदिर के कपाट

Kamakhya Temple Ambubachi Mela
Kamakhya Temple Ambubachi Mela
भारत के प्रमुख शक्ति पीठों में शामिल कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) में हर साल की तरह इस बार भी अंबुबाची मेला (Ambubachi Mela) की शुरुआत हो चुकी है। यह मेला देवी कामाख्या (Kamakhya Devi) के मासिक धर्म (Menstruation) से जुड़ी मान्यता और पूजा परंपरा के कारण देशभर में बेहद खास माना जाता है। इस दौरान तीन दिनों तक Kamakhya Temple के कपाट बंद रहते हैं, क्योंकि माना जाता है कि इस समय देवी मां विश्राम करती हैं।
Ambubachi Mela एक तांत्रिक परंपरा से जुड़ा त्योहार है, जो मानसून की शुरुआत और देवी के मासिक धर्म दोनों का प्रतीक है। “अंबुबाची” का अर्थ है — “जल से उत्पन्न संवाद”, जो बारिश और उर्वरता की ओर इशारा करता है।
माना जाता है कि इस समय Kamakhya Devi रजस्वला अवस्था में होती हैं, इसलिए मंदिर में पूजा रोक दी जाती है और किसी को भी गर्भगृह में प्रवेश नहीं करने दिया जाता।
हर साल की तरह इस बार भी Kamakhya Temple के कपाट 22 जून से तीन दिनों के लिए बंद हो चुके हैं। मंदिर प्रशासन के अनुसार, 26 जून को देवी स्नान और शुद्धिकरण के बाद भक्तों के लिए मंदिर को फिर से खोला जाएगा। इस मौके पर देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु गुवाहाटी की नीलांचल पहाड़ियों पर स्थित Kamakhya Temple पहुंचते हैं।
जहां देश के कई हिस्सों में मासिक धर्म को लेकर चुप्पी और शर्म देखी जाती है, वहीं Kamakhya Temple, Assam में इसे देवी शक्ति की विशेष स्थिति मानकर पूजा जाता है। Ambubachi Mela इस बात का प्रतीक है कि मासिक धर्म शक्ति और सृजन का स्रोत है।
Kamakhya Temple को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान शिव माता सती का मृत शरीर लेकर तांडव कर रहे थे, तब उनकी योनि (goddess’s womb) इस स्थान पर गिरी थी। इसलिए यह मंदिर स्त्री शक्ति और सृजन ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।
Kamakhya Temple Ambubachi Mela