
मुंबई। महाराष्ट्र में ट्रक चालकों ने बुधवार से ई-चालान प्रणाली के खिलाफ और अपनी लंबित मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इस हड़ताल के कारण पूरे राज्य में माल परिवहन सेवाएं बाधित हो गई हैं। परिवहनकर्ताओं के प्रतिनिधियों ने यह जानकारी दी।
परिवहनकर्ताओं ने शिकायत की है कि अधिकारियों द्वारा जुर्माना वसूलने की प्रक्रिया आक्रामक हो गई है और इससे व्यापारिक गतिविधियों में बाधा आ रही है। साथ ही ई-चालान के जुर्माने की रकम भी बढ़ती जा रही है।
वाहतुकदार बचाव कृति संघटना ने इस हड़ताल का आह्वान किया है। यह परिवहनकर्ताओं के संगठनों की एक एक्शन कमेटी है।
हालांकि ट्रक चालकों ने आधी रात से हड़ताल शुरू कर दी है, लेकिन बस परिचालकों ने अगले कुछ दिनों तक हड़ताल में शामिल होने से इनकार कर दिया है।
एक्शन कमेटी के संयोजक उदय बरगे ने बताया, “हड़ताल को पहले दिन मिलाजुला प्रतिक्रिया मिली है, लेकिन दोपहर के बाद स्थिति अलग होगी।”
उन्होंने दावा किया कि मुंबई और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में 1.5 लाख से 2 लाख ट्रक और मालवाहक वाहन हड़ताल के कारण सड़कों पर नहीं उतरेंगे।
बरगे ने यह भी बताया कि मुंबई के व्यापारिक हब कलबादेवी में सभी ट्रक सड़कों पर नहीं हैं, जबकि अन्य इलाकों में परिवहन संघों के सदस्य “गांधीगिरी” का सहारा लेकर अन्य परिवहनकर्ताओं को हड़ताल में शामिल होने के लिए मना रहे हैं।
परिवहनकर्ताओं की मांगों में ई-चालान के जुर्माने की जबरन वसूली पर रोक लगाना, छह महीने से पुराने ई-चालान को रद्द करना, मौजूदा जुर्माना माफ करना, भारी वाहनों के लिए अनिवार्य क्लीनर नियम को खत्म करना और महानगरों में नो-एंट्री का समय फिर से विचार करना शामिल है।
हड़ताल के आह्वान को देखते हुए राज्य सरकार ने मुंबई ट्रैफिक पुलिस, हाईवे पुलिस और मोटर वाहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ परिवहन संघों के नेताओं को शामिल करते हुए 10 सदस्यीय समिति गठित की है। इस समिति को यह मामला देखने का जिम्मा मिला है।
मंगलवार देर रात जारी एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) के अनुसार समिति एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी।
महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाइक ने 26 जून को परिवहनकर्ताओं की मांगों को देखने के लिए समिति के गठन का आश्वासन दिया था।
परिवहनकर्ताओं ने इससे पहले 16 जून से मुंबई के अजाद मैदान में अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू किया था। उन्होंने 24 जून को यह प्रदर्शन तब स्थगित कर दिया था जब उद्योग मंत्री उदय समंत ने उनकी समस्याओं के समाधान के लिए बैठक बुलाने का आश्वासन दिया था।
अगले दिन हुई बैठक में सरनाइक और समंत ने मांगों की जांच के लिए समिति गठित करने का वादा किया था।
हालांकि परिवहनकर्ता जुलाई में हड़ताल पर जाने के अपने फैसले पर अडिग रहे क्योंकि छह महीने से पुराने ई-चालान को वापस लेने के संबंध में कोई राहत नहीं मिली थी।
महाराष्ट्र राज्य मोटर मालक संघ के अध्यक्ष कैलास पिंगले, जिन्होंने भी हड़ताल को समर्थन दिया है, ने मंगलवार को कहा, “जैसे उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने राज्य में ई-चालान के माध्यम से जारी पुराने जुर्माने को माफ कर दिया है, महाराष्ट्र सरकार को भी इसी तरह का कदम उठाने पर विचार करना चाहिए।”
वहीं बस परिचालकों के एक निकाय के नेता ने मंगलवार को बताया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बस परिचालकों से अषाढ़ी एकादशी के चलते हड़ताल पर न जाने का अनुरोध किया था, क्योंकि यह त्योहार कुछ ही दिनों दूर है। इसीलिए उन्होंने कुछ दिनों के लिए हड़ताल में शामिल होने का फैसला स्थगित कर दिया।