
नई दिल्ली, 19 जुलाई । मखाना अब भारतीय उपभोक्ताओं का पसंदीदा सुपरफूड बन गया है। Farmley हेल्दी स्नैकिंग रिपोर्ट 2025 के अनुसार, 65 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने मखाने को अपनी हेल्दी स्नैकिंग की पहली पसंद बताया है। यह स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों के बीच इसकी बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है।
रिपोर्ट में साफ-सुथरे स्नैक्स की ओर बढ़ते रुझान का भी खुलासा हुआ है। 55 प्रतिशत से अधिक उपभोक्ता अब प्रिजरवेटिव मुक्त विकल्पों को तरजीह दे रहे हैं। इतना ही नहीं, 52 प्रतिशत लोग ऐसे स्नैक्स पैकिंग को प्राथमिकता देते हैं जो रीसीलबल और इको-फ्रेंडली हों, जो पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरूकता को दिखाता है।
सर्वे के नतीजे बताते हैं कि सुविधा अब भी एक अहम कारक है। करीब 45 प्रतिशत उपभोक्ता ऐसे स्नैक्स फॉर्मेट पसंद करते हैं जो ऑन-द-गो खाए जा सकें, जैसे बार्स और ड्राई फ्रूट्स से बने डिज़र्ट।
सेवरी विकल्पों में मखाने और फ्लेवर्ड ड्राई फ्रूट्स साफ तौर पर लोगों की पसंद बनकर उभरे हैं, जो बाजार में हेल्दी स्नैकिंग की नई लहर को दर्शाते हैं। ये ट्रेंड्स वेलनेस फोकस्ड, सस्टेनेबल और सुविधाजनक स्नैक विकल्पों की ओर बढ़ते रुझान का संकेत देते हैं।
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 36 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने रोस्टेड और फ्लेवर्ड ड्राई फ्रूट्स को अपना पसंदीदा सेवरी स्नैक बताया, जबकि 19 प्रतिशत ने विशेष रूप से मखाने को चुना। यह इसके मॉडर्न सुपर-स्नैक के तौर पर उभरने को दिखाता है।
मखाने की यह बढ़ती लोकप्रियता केंद्र सरकार के उस ऐलान से भी मेल खाती है जिसमें बिहार में मखाना बोर्ड स्थापित करने की बात कही गई थी। यह प्रस्ताव केंद्रीय बजट 2025-26 में पेश किया गया था।
हालांकि, नए फॉर्मेट्स के बढ़ते चलन के बावजूद, पारंपरिक चिप्स और वेफर्स अब भी अपनी जगह बनाए हुए हैं, जिन्हें 14 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने चुना। वहीं, 10 प्रतिशत ने नमकीन और 9 प्रतिशत ने मल्टीग्रेन स्नैक्स जैसे खाखरा को पसंद किया।
मीठे स्नैक्स भी अब बदल रहे हैं। भले ही चॉकलेट भारत का सदाबहार पसंदीदा बना हुआ है, लेकिन पीनट बटर, हेज़लनट और पिस्ता जैसे नटी फ्लेवर्स अब स्वाद और सेहत के मेल के चलते पसंद किए जा रहे हैं।
ब्रांड लॉयल्टी के मामले में भी बदलाव देखने को मिला है। पहले यह लीगेसी प्लेयर्स तक सीमित थी, लेकिन अब मल्टीपल चैनल्स के जरिए यह विविधतापूर्ण हो गई है। हालांकि, ट्रेडिशनल ऑफलाइन स्टोर्स अब भी नए उत्पादों को खोजने और प्लान्ड खरीदारी के लिए प्रमुख माध्यम हैं, लेकिन क्विक कॉमर्स और इन्फ्लुएंसर-लेड कंटेंट ने इंपल्स स्नैकिंग को बढ़ावा दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, टियर 2 और टियर 3 शहरों में रीजनल प्लेयर्स की स्वीकार्यता बढ़ रही है। हालांकि इनमें नेशनल एडवरटाइजिंग मसल नहीं होती, लेकिन ये कंपनियां लगातार क्वालिटी और कम्युनिटी में अपनी मौजूदगी के जरिए गहरा विश्वास बनाती हैं। यह बदलाव एक व्यापक सांस्कृतिक परिवर्तन का संकेत है, जहां पारदर्शिता, विश्वसनीयता और स्थानीय जुड़ाव का महत्व स्वाद और मार्केटिंग रीच जितना ही है।