
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस ने इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह इस्तीफा “सतह पर दिख रहे कारणों से कहीं अधिक गंभीर मामला है”। पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से धनखड़ को अपना फैसला बदलने के लिए मनाने का आग्रह भी किया।
सोमवार शाम अचानक धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और स्वास्थ्य कारणों को इसका आधार बताया। उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा और कहा कि यह तत्काल प्रभाव से लागू होगा।
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का यह अचानक इस्तीफा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही अस्पष्ट भी। मैं आज शाम लगभग 5 बजे तक उनके साथ कई सांसदों के साथ मौजूद था और 7:30 बजे फोन पर बात भी की थी।”
रमेश ने आगे कहा, “निस्संदेह धनखड़ जी को अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। लेकिन यह स्पष्ट है कि उनके इस अप्रत्याशित इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य से ज्यादा कुछ और है।” हालांकि उन्होंने कहा कि अभी अटकलों का समय नहीं है।
कांग्रेस नेता ने बताया कि धनखड़ ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की एक बैठक कल दोपहर 1 बजे तय की थी और वे न्यायपालिका से जुड़े कुछ बड़े ऐलान भी करने वाले थे। रमेश ने उनके बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हुए उनसे अपना फैसला बदलने का अनुरोध किया। साथ ही प्रधानमंत्री से भी यही अपील की। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रहित में होगा और किसान समुदाय को विशेष राहत मिलेगी।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद नीरज डांगी ने भी इस्तीफे पर चिंता जताई और कहा कि यह फैसला स्वैच्छिक नहीं लगता। उन्होंने संकेत दिया कि सरकार की तरफ से दबाव बनाया गया होगा। डांगी ने कहा, “यह बेहद चौंकाने वाला है कि अचानक शाम को ऐसी खबर आई। स्वास्थ्य कारण बताए गए हैं, लेकिन पिछले सत्र में उन्हें दिल की समस्या हुई थी और वे तीसरे-चौथे दिन वापस आ गए थे। अचानक स्वास्थ्य समस्याएं सामने आना सवाल खड़े करता है।”
लोकसभा सांसद मल्लू रवि ने इस्तीफे के टाइमिंग पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि धनखड़ ने दो दिनों का राज्यसभा सत्र बिना किसी असुविधा के सुचारू रूप से संचालित किया था। रवि ने इसे “राजनीतिक अस्वस्थता” बताते हुए कहा कि शायद बिहार चुनाव से पहले भाजपा सरकार उनकी जगह किसी और को लाना चाहती थी।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने धनखड़ के इस्तीफे को स्वास्थ्य कारणों से बताया और उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। वहीं सीपीआई के पी. संदोष कुमार ने इसे अप्रत्याशित बताया और कहा कि वास्तविक कारण स्पष्ट नहीं हैं।
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने धनखड़ को देशभक्त बताते हुए कहा कि चूंकि उन्होंने स्वास्थ्य कारण बताए हैं, तो इसे स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहिए। सिब्बल ने बताया कि उनके साथ उनके अच्छे संबंध थे और धनखड़ विचारधारा भिन्न होने के बावजूद खुले विचारों के व्यक्ति थे।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के वारिस पठान और शिवसेना (यूबीटी) के आनंद दुबे ने भी इस्तीफे पर प्रतिक्रिया दी। दुबे ने मानसून सत्र के पहले दिन इस्तीफा देने के टाइमिंग पर सवाल उठाया।
धनखड़ ने अपने इस्तीफे पत्र में कहा, “स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं।”
74 वर्षीय धनखड़ ने अगस्त 2022 में पदभार संभाला था और उनका कार्यकाल 2027 तक था। हाल ही में उन्होंने एम्स में एंजियोप्लास्टी कराई थी। संसद के मानसून सत्र के पहले दिन उनके इस्तीफे ने राजनीतिक स्पेक्युलेशन को जन्म दिया है।