
नई दिल्ली। झारखंड आंदोलन के प्रमुख चेहरे, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का सोमवार को 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह पिछले एक महीने से दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में इलाज करवा रहे थे और उनकी हालत कुछ दिनों से नाजुक बनी हुई थी।
शिबू सोरेन के परिवार में पत्नी रूपी सोरेन, बेटे हेमंत सोरेन, बसंत सोरेन और बेटी अंजलि सोरेन हैं। उनके एक अन्य बेटे दुर्गा सोरेन का 2009 में निधन हो गया था। हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं और हाल ही में JMM के अध्यक्ष बने हैं जबकि बसंत सोरेन विधायक हैं।
हेमंत सोरेन ने ट्विटर पर अपने पिता के निधन की खबर साझा करते हुए लिखा, “प्यारे दिशोम गुरुजी हमें छोड़कर चले गए। आज मैंने सब कुछ खो दिया।” अस्पताल ने बयान में बताया कि शिबू सोरेन 19 जून से भर्ती थे और नेफ्रोलॉजी विभाग के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. ए.के. भल्ला की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था।
50 साल के लंबे राजनीतिक जीवन में शिबू सोरेन आठ बार लोकसभा के लिए चुने गए और दो बार राज्यसभा सदस्य रहे। उनका दूसरा राज्यसभा कार्यकाल अभी चल रहा था। संथाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाले शिबू सोरेन का जन्म बिहार (अब झारखंड) के रामगढ़ जिले में हुआ था। उन्होंने 1972 में वामपंथी नेता ए.के. राय और कुर्मी महतो नेता बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की थी।
शिबू सोरेन पहली बार 1980 में दुमका से लोकसभा के लिए चुने गए थे जो बाद में JMM का गढ़ बन गया। 2019 में इसी सीट पर भाजपा के नलिन सोरेन से 45 हजार से अधिक वोटों से हारने के बाद उन्होंने इस सीट पर अपना कब्जा खो दिया था।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री और तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया लेकिन एक भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। वह पहली बार 2005 में झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे लेकिन विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण महज 9 दिन बाद ही इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद भी वह दो बार और मुख्यमंत्री बने लेकिन गठबंधन की राजनीति के चलते दोनों ही बार उनका कार्यकाल कुछ महीनों तक ही चल सका।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिबू सोरेन के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि यह “सामाजिक न्याय के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति” है। उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन ने आदिवासी अस्मिता और झारखंड राज्य के गठन के लिए लंबा संघर्ष किया।