
चुनाव आयोग ने रविवार को सभी मीडिया संस्थानों को बिहार विधानसभा चुनाव और उपचुनावों के लिए 48 घंटे के मौन काल और एग्जिट पोल प्रतिबंधों का सख्ती से पालन करने की याद दिलाई।
यह कदम निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
बिहार की 243 सीटों के लिए मतदान 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में होगा।
वहीं सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की आठ सीटों के उपचुनाव 11 नवंबर को होंगे।
दोनों के परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।
चुनाव आयोग ने एक विज्ञप्ति में कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 के तहत मतदान क्षेत्र में 48 घंटे के मौन काल के दौरान टेलीविजन या इसी तरह के उपकरणों से चुनाव संबंधी कोई भी सामग्री प्रदर्शित करना प्रतिबंधित है।
आयोग ने दोहराया कि टीवी/रेडियो चैनलों और केबल नेटवर्क को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके कार्यक्रमों की सामग्री किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के पक्ष या विपक्ष में न हो।
इसमें कोई भी ओपिनियन पोल प्रदर्शित करना भी शामिल है।
आयोग ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 126ए के तहत एग्जिट पोल करने और उनके परिणाम प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगाया है।
यह प्रतिबंध 6 नवंबर सुबह 7 बजे से 11 नवंबर शाम 6:30 बजे तक लागू रहेगा।
धारा 126 का उल्लंघन करने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों सजा का प्रावधान है।
बिहार में मुख्य मुकाबला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए और आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच है।
एनडीए में भाजपा, जदयू, लोजपा, हम और आरएलएम शामिल हैं।
महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई-एमएल, सीपीआई, सीपीएम और वीआईपी शामिल हैं।
इसके अलावा प्रशांत किशोर का जन सुराज भी इस चुनाव में पहली बार हिस्सा ले रहा है।
चुनाव आयोग ने सभी मीडिया हाउसों से इन नियमों का पालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया है।
यह कदम चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।










