
बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राज्य की राजनीतिक लड़ाई तेज हो गई है। नेताओं के बीच तीखी बहसें देखने को मिल रही हैं। जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने सोमवार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को सलाह दी कि वे बिहार के सीमांचल क्षेत्र में आने के बजाय अपने हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र पर ध्यान दें।
उन्होंने कहा कि सीमांचल के बेटे ही सीमांचल के नेता होने चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यहां के मुसलमान 2020 की गलती दोबारा नहीं दोहराएंगे।
मीडिया से बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा कि ओवैसी साहब मेरे मित्र हैं। लेकिन मेरी उन्हें सलाह है कि वे हैदराबाद को संभालें। अपने गढ़ को सुरक्षित रखें और सीमांचल आकर अनावश्यक भ्रम पैदा न करें।
उन्होंने आगे कहा कि अगर आपने हैदराबाद को ठीक से संभाला होता और वहां के मुसलमानों का कल्याण किया होता तो बेहतर होता।
प्रशांत किशोर ने एक मजबूत टिप्पणी करते हुए कहा कि सीमांचल क्षेत्र के बेटे ही नेता होने चाहिए। इस बार सीमांचल के मुसलमान वह गलती नहीं करेंगे जो 2020 में हुई थी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ओवैसी साहब का सम्मान है और वे पढ़े-लिखे हैं, लेकिन उन्हें हैदराबाद में ही रहने दें। यहां हैदराबाद से नेता स्थापित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
इससे पहले, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के लिए अपनी 25 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी।
एआईएमआईएम के बिहार इकाई ने 25 उम्मीदवारों को मंजूरी दी है। इनमें सिवान के लिए मोहम्मद कैफ, गोपालगंज एसी के लिए आनस सलाम, किशनगंज के लिए एडवोकेट शम्स आगाज शामिल हैं।
मधुबनी के लिए रशीद खलील अंसारी और अररिया के लिए मोहम्मद मंजूर आलम भी उम्मीदवार हैं।
पार्टी ने 2020 के चुनाव में पांच सीटें जीती थीं। लेकिन उसके पांच में से चार विधायक राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए।
यह विकास बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं का रुझान चुनाव परिणामों को प्रभावित करेगा।
प्रशांत किशोर की टिप्पणी ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू कर दी है। विभिन्न दलों की प्रतिक्रियाएं आने की संभावना है।
बिहार चुनाव में सीमांचल क्षेत्र हमेशा से ही अहम रहा है। यहां की जनसांख्यिकीय संरचना चुनावी समीकरणों को बदल सकती है।
ओवैसी की पार्टी इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है। लेकिन प्रशांत किशोर के बयान ने नई बहस छेड़ दी है।
चुनावी रणनीति और गठबंधन की राजनीति इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। मतदाताओं का फैसला ही अंतिम रूप से सब कुछ तय करेगा।










