
आंध्र प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम के तहत रोज़गार सृजन में गिरावट देखी गई है। लिबटेक इंडिया द्वारा जारी MGNREGA ट्रैकर के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में यह गिरावट दर्ज की गई।
यह रिपोर्ट अप्रैल से सितंबर 2025 के आधिकारिक MGNREGA डेटा पर आधारित है। इसमें रोज़गार और परिवारों की भागीदारी दोनों में कमी देखी गई है।
साथ ही, अनिवार्य आधार आधारित eKYC आवश्यकता के कारण डिजिटल बहिष्कार भी बढ़ रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, आंध्र प्रदेश में उत्पन्न व्यक्ति-दिवसों में 13.6% की गिरावट आई है। यह गिरावट राष्ट्रीय औसत 10.4% से अधिक है।
भाग लेने वाले परिवारों की संख्या भी घटकर 40.74 लाख रह गई है। पिछले वर्ष की तुलना में यह 4.8% की कमी है।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के श्रमिकों पर इसका असमान प्रभाव पड़ा है। उनके व्यक्ति-दिवसों में क्रमशः 18.7% और 17% की गिरावट आई है।
अन्य श्रेणियों में यह गिरावट 11.3% रही।
काम के अवसरों में इस कमी का सीधा असर घरेलू आय पर पड़ा है। प्रति MGNREGA परिवार औसत आय में 4.8% की गिरावट दर्ज की गई है।
वर्ष 2024-25 में यह आय 10,695 रुपये थी, जो घटकर 2025-26 में 10,178 रुपये रह गई।
यह आंकड़े राज्य में ग्रामीण रोज़गार की चुनौतीपूर्ण स्थिति को दर्शाते हैं। विशेष रूप से वंचित समुदायों के लिए स्थिति और गंभीर है।
डिजिटल प्रक्रियाओं में बदलाव ने भी इसमें भूमिका निभाई है। आधार आधारित eKYC की अनिवार्यता ने कई लोगों को रोज़गार से वंचित किया है।
रोज़गार गारंटी योजना के क्रियान्वयन में सुधार की आवश्यकता है। सभी वर्गों तक इसके लाभ पहुंचाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए MGNREGA जैसी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन आवश्यक है।
इस गिरावट ने ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के संकट को उजागर किया है। सरकारी नीतियों में बदलाव की आवश्यकता है।










