
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का ध्यान पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को हथियार भेजने की ओर आकर्षित किया है। इन हथियारों की सीमा पार तस्करी में अब ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत ने सुरक्षा परिषद से आतंकवाद और इसके संरक्षकों के प्रति जीरो-टॉलरेंस की नीति बनाए रखने की मांग की।
भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने सोमवार को यह बात कही। उन्होंने सुरक्षा परिषद की छोटे हथियारों पर खुली बहस में अपनी बात रखी। हालांकि उन्होंने पाकिस्तान का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया, लेकिन संदर्भ स्पष्ट था।
हरीश ने कहा कि भारत को सीमा पार से होने वाले आतंकवाद का सामना करना पड़ा है। इसमें अवैध हथियारों की तस्करी शामिल है, जो अब ड्रोन के जरिए की जा रही है।
उन्होंने आगे कहा कि ऐसे हथियारों की मात्रा और परिष्कृत तकनीक में वृद्धि चिंताजनक है। यह साबित करता है कि ये समूह बिना सहायता, वित्तपोषण या समर्थन के जीवित नहीं रह सकते।
सुरक्षा परिषद को आतंकवाद के सभी रूपों के प्रति कठोर रुख अपनाना चाहिए। उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई जरूरी है जो इन हथियारों के इस्तेमाल और आवाजाही को सुगम बनाते हैं।
भारत ने कई दशकों तक आतंकवाद की बुराई से लड़ाई लड़ी है। इसलिए हम छोटे हथियारों और गोला-बारूद के अवैध हस्तांतरण के खतरों से अच्छी तरह वाकिफ हैं।
इस बैठक की अध्यक्षता सिएरा लियोन के विदेश मंत्री अल्हाजी मूसा टिमोथी कब्बा ने की। उन्होंने प्रभावी हथियार प्रतिबंधों की वकालत की जो लगातार लागू रहें।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में लगभग 85 करोड़ छोटे हथियार घूम रहे हैं। इनमें से करीब 65 करोड़ नागरिकों के पास हैं। छोटे हथियारों का व्यापार सबसे कम पारदर्शी माना जाता है।
आतंकवादियों को हथियार मिलने से रोकना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए मजबूत कदम उठाए जाने चाहिए।
आतंकवादियों और अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क के गठजोड़ से उत्पन्न खतरों पर ध्यान देना होगा। ये समूह कमजोर सीमाओं और नियामक तंत्र का फायदा उठाते हैं।
उभरते हुए खतरों जैसे हस्तनिर्मित और 3डी प्रिंटेड फायरआर्म्स पर भी ध्यान देने की जरूरत है। यह नई चुनौती सामने आ रही है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने परिषद को अपनी रिपोर्ट में चेतावनी दी। उन्होंने आतंकवादियों द्वारा 3डी प्रिंटिंग तकनीक से हथियार बनाने के खतरे को रेखांकित किया।
काउंटर-टेररिज्म कमेटी की कार्यकारी निदेशालय ने इसे एक उभरता मुद्दा माना है। आतंकवादियों द्वारा 3डी प्रिंटेड छोटे हथियार बनाना गंभीर समस्या बन रहा है।
सदस्य देशों को राष्ट्रीय कानूनों के माध्यम से डिजिटल ब्लूप्रिंट को विनियमित करने के कदम उठाने चाहिए। फायरआर्म्स के अवैध निर्माण के लिए डिजाइन और निर्माण डेटा के इलेक्ट्रॉनिक साझाकरण पर रोक लगानी होगी।
यह सुनिश्चित करना होगा कि उभरती प्रौद्योगिकियों का दुरुपयोग न हो सके। सभी देशों को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा।
भारत की यह पहल अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता आवश्यक है।










