
कोलकाता में रिशभ पंत चार महीने के बाद भारतीय टीम की व्हाइट जर्सी पहनेंगे। वह दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में वापसी कर रहे हैं। चोट के बाद लौटना हमेशा आसान नहीं होता।
पंत ने जुलाई में इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर टेस्ट में पैर में फ्रैक्चर का सामना किया था। उन्होंने बेंगलुरु में भारत ए और दक्षिण अफ्रीका ए के बीच दो अनौपचारिक टेस्ट मैचों से वापसी की।
बीसीसीआई द्वारा साझा किए गए वीडियो में पंत ने कहा कि वापसी आसान नहीं रही। उन्होंने कहा कि ईश्वर की कृपा से वह इस मुश्किल दौर से उबर पाए।
पंत हर मैच में मैदान पर उतरते समय आभारी रहने की कोशिश करते हैं। वह ईश्वर, अपने माता-पिता और परिवार को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने उनका साथ दिया।
गौरतलब है कि पंत पिछले साल कार दुर्घटना के गंभीर चोटों से उबरकर क्रिकेट में लौटे थे। उन्होंने फिर से अपनी मेहनत और लगन से वापसी की।
रिहैबिलिटेशन के दौरान पंत ने अपना ध्यान सकारात्मक रखा। उन्होंने भविष्य के बारे में हो रही अटकलों पर ध्यान न देकर अपने काम पर फोकस किया।
पंत का मानना है कि वे चीजें जो हमारे नियंत्रण में नहीं हैं, उनके बारे में सोचना व्यर्थ है। उन्होंने लक के बारे में ज्यादा नहीं सोचा और अपने मन को मजबूत रखा।
उनका कहना है कि अगर आप अपने मन को सही जगह रखें तो बाहरी चीजें आपको प्रभावित नहीं कर पातीं। इससे आपको खुशी मिलती है, खासकर चोट के दौरान।
पंत के अनुसार मुश्किल समय बहुत कुछ सिखाते हैं। वह कहते हैं कि आपको ऐसे क्षेत्र में रहना चाहिए जहां आप सहज महसूस करें।
कड़ी मेहनत और अनुशासन के साथ आप हर पल से सीख सकते हैं। साथ ही आपको उस समय का आनंद भी लेना चाहिए।
28 वर्षीय विकेटकीपर बल्लेबाज का मानना है कि आपको जो भी करना है, उसे पूरे मन से करना चाहिए। आनंद और खुशी उसी काम में मिलती है जब आप सौ प्रतिशत देते हैं।
पंत की वापसी भारतीय क्रिकेट के लिए एक सकारात्मक संकेत है। उनका अनुभव और दृढ़ संकल्प टीम को मजबूती देगा।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ श्रृंखला में पंत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उनकी वापसी से टीम को मध्यक्रम में मजबूती मिलेगी।
पंत की यह वापसी उनकी मानसिक मजबूती को दर्शाती है। वह चोटों से उबरकर लगातार मैदान पर वापसी कर रहे हैं।
उनकी इस सफलता से युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलेगी। वह दिखा रहे हैं कि मेहनत और धैर्य से हर मुश्किल पर काबू पाया जा सकता है।











