
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने बुडगाम उपचुनाव में अपनी पार्टी की हार का भी जिक्र किया।
अब्दुल्ला ने कहा कि दोनों राज्यों में मतदाताओं का व्यवहार दिखाता है कि वे अक्सर मुद्दों और शासन से परे देखते हैं। उन्होंने कहा, जब मैं बिहार की स्थिति देखता हूं, तो मुझे अपनी स्थिति पर कम दुख होता है।
उन्होंने माना कि बुडगाम चुनाव आसान नहीं होगा क्योंकि यहां एक बड़ा वर्ग मुद्दों या काम के आधार पर वोट नहीं करता।
बिहार परिणाम पर टिप्पणी करते हुए अब्दुल्ला ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि पार्टी को अपने वोट-चोरी यात्रा के बाद व्यापक सफलता की उम्मीद थी।
उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लगातार दसवीं बार मुख्यमंत्री बनने के लिए श्रेय दिया। अब्दुल्ला ने कहा कि यह कोई छोटी बात नहीं है।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने विपक्षी दबाव के बावजूद चुनावी ज्वार को अपने पक्ष में मोड़ दिया। उन्होंने सत्ता में रहने का लाभ उठाया और लोकप्रियता हासिल की।
अब्दुल्ला ने नीतीश कुमार की कल्याणकारी पहलों को चुनावी सफलता का मुख्य कारण बताया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने जाति को अलग रखकर महिलाओं के लिए योजनाएं शुरू कीं।
इन योजनाओं ने उन्हें भारी लाभ पहुंचाया। अब्दुल्ला ने कहा कि अन्य सरकारें इस दृष्टिकोण से सीख सकती हैं।
इस बीच, भाजपा की देवयानी राणा ने नागरोटा सीट पर 42,350 वोटों से जीत दर्ज की। उन्होंने 24,647 वोटों के अंतर से जीत हासिल की।
जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के हर्ष देव सिंह 17,703 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस की शमीम बेगम 10,872 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहीं।
नागरोटा में उपचुनाव भाजपा विधायक देवेंद्र राणा की मृत्यु के बाद हुआ था।
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने बुडगाम विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल की। पार्टी उम्मीदवार आगा सैयद मुंतजिर महदी ने सभी 17 राउंड की गिनती के बाद 4,478 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।
यह जीत पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुई। चुनाव परिणामों ने राज्य की राजनीतिक गतिशीलता को फिर से परिभाषित किया है।
उमर अब्दुल्ला की टिप्पणियों ने चुनावी विश्लेषण में एक नया आयाम जोड़ा है। उन्होंने सत्ता में बने रहने की रणनीतियों पर प्रकाश डाला है।
बिहार और जम्मू-कश्मीर के चुनाव परिणाम भारतीय लोकतंत्र की बहुआयामी प्रकृति को दर्शाते हैं। मतदाताओं के फैसले हमेशा जटिल और बहुआयामी होते हैं।










