
भारत ने कोलकाता के एडन गार्डन्स में दक्षिण अफ्रीका से 30 रन से हार का सामना किया। यह घरेलू मैदान पर उनकी पिछले छह टेस्ट में चौथी हार थी। मेजबान टीम की बल्लेबाजी लगातार विफल रही।
दोनों पारियों में भारतीय बल्लेबाज स्पिन के खिलाफ संघर्ष करते नजर आए। यह समस्या पिछले कुछ मैचों से जारी है। न्यूजीलैंड के खिलाफ भी ऐसा ही हुआ था।
कप्तान शुबमन गिल की चोट ने टीम को कमजोर कर दिया। वह पहली पारी में सिर्फ तीन गेंदें खेल सके। गर्दन में चोट आने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया।
कोच गौतम गंभीर ने मैच के बाद पिच के बारे में दिलचस्प बातें कहीं। उन्होंने बताया कि टीम ने पहले दिन से ही घुमाव वाली पिच मांगी थी। यह ताकतवर दांव उल्टा पड़ गया।
भारतीय बल्लेबाज घरेलू होने के बावजूद विदेशी टीम जितना ही संघर्ष करते दिखे। यशस्वी जायसवाल और ध्रुव जुरेल दोनों पारियों में विफल रहे। अनुभवी केएल राहुल और ऋषभ पंत भी अच्छी शुरुआत के बावजूद बड़ा स्कोर नहीं बना सके।
गंभीर ने कहा कि पिच में कोई समस्या नहीं थी। यह तकनीक और मानसिक मजबूती की परीक्षा थी। जिन खिलाड़ियों ने अच्छे से रक्षा की, वे रन बना सके।
अनिल कुंबले ने सवाल उठाया कि न्यूजीलैंड के खिलाफ बल्लेबाजी विफलता के बाद भी घुमावदार पिच क्यों तैयार की गई। उन्होंने इंग्लैंड में फ्लैट पिच पर भारतीय बल्लेबाजों के आत्मविश्वास का उदाहरण दिया।
दोहरी बल्लेबाजी विफलता ने टीम को बड़ा झटका दिया। भारत ने दोनों पारियों में मिलाकर सिर्फ 282 रन बनाए। पहली पारी में 154/4 के अच्छे स्कोर के बाद टीम का पतन शुरू हुआ।
अंतिम चार विकेट सिर्फ 18 रन पर गिरे। इससे भारत को मिली बढ़त महज 30 रन की रही। दक्षिण अफ्रीका तेज गेंदबाज मार्को जेनसेन और स्पिनर साइमन हार्मर ने निचले क्रम को ध्वस्त कर दिया।
दूसरी पारी में स्थिति और खराब हुई। भारत की पूरी टीम 93 रन पर सिमट गई। टीम को जीत के लिए 124 रन का लक्ष्य मिला था। राहुल के 39 रन पहली पारी में सबसे ज्यादा स्कोर रहे।
वाशिंगटन सुंदर दूसरी पारी में 31 रन बनाकर टीम के लिए संघर्ष करते रहे। विकेटकीपर जुरेल ने दोनों पारियों में क्रमशः 14 और 13 रन बनाए। पंत आक्रामक शॉट्स खेलते हुए 27 और 2 रन पर आउट हुए।
तीसरे दिन की शुरुआत में कप्तान पंत की रणनीति पर सवाल उठे। उन्होंने दिन की शुरुआत एक्सर पटेल और रविंद्र जडेजा की स्पिन जोड़ी से की। इससे दक्षिण अफ्रीका के टेंबा बवुमा और कॉर्बिन बॉश को आसान रन मिले।
बवुमा ने अर्धशतक जड़ा जबकि बॉश ने 25 रन बनाए। जसप्रीत बुमराह को गेंदबाजी में देरी से शामिल किया गया। बुमराह ने आते ही बॉश को आउट कर ब्रेकथ्रू दिया।
पहली पारी में बुमराह ने 5 विकेट लेकर दक्षिण अफ्रीका को 159 रन पर सीमित किया था। तीसरे दिन उन्हें तुरंत गेंदबाजी में न लाना महंगा साबित हुआ। मोहम्मद सिराज ने हार्मर और केशव महाराज को एक ही ओवर में आउट किया।
टीम चयन पर भी सवाल उठे। भारत ने चार स्पिनर खिलाड़ियों को मैच में शामिल किया। जडेजा, पटेल, कुलदीप यादव और सुंदर के साथ दो तेज गेंदबाज भी थे। सुंदर को पूरे मैच में सिर्फ एक ओवर गेंदबाजी का मौका मिला।
सुंदर को तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते देखना आश्चर्यजनक था। टीम ने साई सुधर्शन को बाहर रखा। सुंदर ने बल्लेबाजी में अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन उन्हें तीसरे नंबर पर पदोन्नत करना तर्कसंगत नहीं लगा।
सुधर्शन को इंग्लैंड दौरे से ही इस भूमिका के लिए तैयार किया जा रहा था। टीम में देवदत्त पडिक्कल, रुतुराज गायकवाड़ और राजत पाटीदार जैसे प्रतिभाशाली बल्लेबाज मौजूद थे।
शुबमन गिल की चोट ने टीम की योजनाओं को पूरी तरह बिगाड़ दिया। हार्मर की गेंद पर बाउंड्री लगाने के बाद वह तुरंत मैदान छोड़कर चले गए। गिल को कोलकाता के अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पिछले छह महीनों में गिल का कार्यभार बहुत अधिक रहा है। वह लगातार क्रिकेट खेलते आ रहे हैं। इंग्लैंड के टेस्ट दौरे के बाद उन्होंने एशिया कप में हिस्सा लिया।
वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू सीरीज के बाद वह तुरंत ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना हो गए। वहां तीन वनडे और पांच टी20 मैच खेले। ऑस्ट्रेलिया से लौटने के बाद उन्हें एक दिन का भी आराम नहीं मिला।
गिल गंभीर और कुछ खिलाड़ियों के साथ ब्रिस्बेन से सीधे कोलकाता पहुंचे। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज की तैयारी के लिए उन्हें तुरंत प्रैक्टिस शुरू करनी पड़ी। लगातार मैच खेलने से उनकी फिटनेस पर असर पड़ा।
भारतीय टीम को इस हार से सबक लेने की जरूरत है। बल्लेबाजी क्रम में सुधार की आवश्यकता स्पष्ट दिख रही है। टीम प्रबंधन को खिलाड़ियों के कार्यभार पर भी ध्यान देना होगा।
अगले मैच में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है। टीम में युवा प्रतिभाओं को मौका देने पर विचार किया जा सकता है। कोलकाता टेस्ट की कमियों को दूर करने पर काम करना होगा।










