Stubble burning (पराली जलाना )and Alternatives to Stubble Burning

पराली जलाना (Stubble Burning) एक कृषि प्रथा है जिसमें किसान फसल कटाई के बाद खेतों में बचे हुए फसल अवशेषों (पराली) को आग लगा देते हैं। यह प्रक्रिया मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में की जाती है जहाँ धान, गेहूँ और अन्य अनाज की खेती होती है, विशेष रूप से भारत, चीन जैसे देशों में।

भारत के संदर्भ में, पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के किसान आमतौर पर धान की कटाई के बाद बची हुई पराली को जला देते हैं ताकि खेतों को जल्द से जल्द खाली किया जा सके और अगली फसल, मुख्य रूप से गेहूँ, की बुवाई की जा सके। पराली जलाना एक सस्ता और तेज़ तरीका है, लेकिन इसके कई नकारात्मक प्रभाव होते हैं:

वायु प्रदूषण

पराली जलाने से निकलने वाला धुआं हानिकारक प्रदूषकों से भरपूर होता है, जैसे कि सूक्ष्म कण (PM2.5 और PM10), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs)। ये प्रदूषक शहरी क्षेत्रों में धुंध (स्मॉग) का निर्माण करते हैं, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

स्वास्थ्य पर प्रभाव

पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण श्वसन संबंधी समस्याओं, जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य फेफड़ों की बीमारियों को बढ़ा सकता है। इसके साथ ही, हानिकारक कणों के साँस में जाने से हृदय संबंधी समस्याएँ भी बढ़ सकती हैं।

जलवायु परिवर्तन

पराली जलाने से बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और मीथेन (CH4) उत्सर्जित होती है, जो ग्रीनहाउस गैसें हैं और वैश्विक तापमान वृद्धि एवं जलवायु परिवर्तन में योगदान करती हैं।

मिट्टी की उर्वरता में कमी

इस प्रक्रिया से मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है क्योंकि आग से मिट्टी के आवश्यक पोषक तत्व और सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं। इससे मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की कमी हो जाती है।

Response on twitter over Stubble burning concern

पराली जलाने के विकल्प

पराली जलाने से बचने के लिए कई टिकाऊ विकल्प उपलब्ध हैं, जैसे:

मल्चिंग और जुताई Mulching and Plowing:: पराली को मिट्टी में मिलाकर जैविक उर्वरक के रूप में इस्तेमाल करना।

बायो-डिकंपोजर Bio-decomposers:: पराली को प्राकृतिक रूप से सड़ाने के लिए सूक्ष्मजीवों का उपयोग।

हैप्पी सीडर Happy Seeder: एक मशीन जो पराली हटाए बिना नई फसल की बुवाई करती है।

बेलिंग मशीन Baling Machines:: पराली को इकट्ठा कर चारा या बायोमास ऊर्जा के रूप में उपयोग करना।

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