
हैदराबाद के AIG हॉस्पिटल्स ने एक बड़ी घोषणा करते हुए दक्षिण भारत का पहला ZAP-X रेडियोसर्जरी सिस्टम स्थापित करने की योजना बताई है। यह उन्नत तकनीक ब्रेन ट्यूमर के मरीजों के लिए बिना सर्जरी, बिना अस्पताल में भर्ती हुए इलाज संभव बनाएगी। सिस्टम इस साल के अंत तक गाचीबावली कैंपस में लगाया जाएगा।
इस नई तकनीक की खास बात यह है कि यह बिना चीर-फाड़ के ब्रेन मेटास्टेसिस, मेंनिन्जियोमा और ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया जैसी स्थितियों का इलाज कर सकती है। ZAP-X मशीन सर्जिकल चाकू की जगह ट्यूमर पर सटीक रेडिएशन डिलीवर करती है, जिसमें न तो एनेस्थीसिया की जरूरत होती है और न ही मरीज को अस्पताल में रुकना पड़ता है। डॉक्टरों के अनुसार, मरीज ओपीडी की तरह आकर इलाज करवा सकते हैं और उसी दिन घर लौट सकते हैं।
AIG के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. सुबोध राजू ने बताया, “इस प्रक्रिया में न तो दर्द होता है, न ICU की जरूरत पड़ती है और न ही लंबे समय तक रिकवरी की। यह उन मरीजों के लिए खासतौर पर उपयोगी है जो ओपन सर्जरी के लिए फिट नहीं हैं या जिनका ट्यूमर पहुंच से दूर है।”
ZAP-X मशीन साइबरनाइफ के आविष्कारक डॉ. जॉन एडलर ने विकसित की है। यह तकनीक रेडियोएक्टिव मटीरियल का इस्तेमाल नहीं करती और इसे शील्डेड बंकर के बिना भी इंस्टॉल किया जा सकता है। इससे अस्पतालों के लिए इसे अपनाना आसान हो जाता है और मरीजों व स्टाफ के लिए यह अधिक सुरक्षित है। साथ ही, पारंपरिक तरीकों के विपरीत, इससे बार-बार इलाज भी करवाया जा सकता है।
फिलहाल, यह तकनीक दुनिया में कुछ ही अस्पतालों में उपलब्ध है। कई भारतीय मरीज इसी तरह के इलाज के लिए सिंगापुर या अमेरिका जैसे देशों का रुख करते हैं। एक न्यूरोसर्जन ने बताया, “हम अक्सर देखते हैं कि मरीजों के परिजन नॉन-इनवेसिव ब्रेन ट्रीटमेंट के लिए ऑनलाइन फंड जुटाते हैं या विदेश जाते हैं। ZAP-X सिस्टम आने से यह स्थिति बदल सकती है।”
हालांकि यह सिस्टम अभी इस साल के अंत तक ही ऑपरेशनल होगा, लेकिन इसकी घोषणा ने उन मरीजों में उम्मीद जगा दी है जिनका ट्यूमर ऑपरेशन के लायक नहीं है या बार-बार वापस आ जाता है। AIG हॉस्पिटल्स का लक्ष्य इस इलाज को पारंपरिक ब्रेन सर्जरी के मुकाबले अधिक किफायती और सुलभ बनाना है, खासकर उन मरीजों के लिए जिनके पास दूसरे विकल्प नहीं हैं।