
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को घोषणा की कि बिहार में 14 नवंबर को असली दिवाली मनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि यह तब होगा जब राजद और उसके गठबंधन सहयोगी विधानसभा चुनावों में करारी हार का सामना करेंगे।
शाह ने सिवान क्षेत्र में एक रैली को संबोधित करते हुए लालू प्रसाद की पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि राजद ने गुंडे से राजनीतिज्ञ बने मोहम्मद शाहबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को चुनावी मैदान में उतारा है।
गृह मंत्री ने लोगों से अपील की कि वे शाहबुद्दीन के बेटे को रघुनाथपुर सीट से शर्मनाक हार दिलाएं। उन्होंने कहा कि सिवान के लोगों ने लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के जंगल राज को कम से कम 20 साल तक झेला है।
शाह ने अपने भाषण में विश्वास जताया कि बिहार के लोग 14 नवंबर को असली दिवाली मनाएंगे। यह वह दिन होगा जब चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे।
उन्होंने दोहराया कि राजद और उसके सहयोगी दलों को भारी हार का सामना करना पड़ेगा। गृह मंत्री ने यह भी दावा किया कि बिहार में विपक्षी इंडिया गठबंधन अब पूरी तरह बिखर चुका है।
शाह ने कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए हालिया मतदाता अधिकार यात्रा की आलोचना की। उन्होंने कहा कि राहुल गंधी का कहना है कि घुसपैठियों को यहां रहना चाहिए।
गृह मंत्री ने जोर देकर कहा कि बिहार में एक भी घुसपैठिए को रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया कि सरकार सीमाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर है।
शाह के इस बयान ने बिहार की राजनीति में नई गर्मी पैदा कर दी है। चुनावी रैली में उनके शब्दों ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज कर दी है।
राजद के नेतृत्व वाले गठबंधन ने अभी तक इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान चुनावी माहौल को प्रभावित कर सकता है।
बिहार में चुनावी रणनीति के तहत गृह मंत्री का यह बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उन्होंने सीधे तौर पर राजद के उम्मीदवारों पर निशाना साधा है।
चुनाव परिणामों का इंतजार अब और दिलचस्प हो गया है। गृह मंत्री के दावे के बाद सभी की नजरें 14 नवंबर पर टिक गई हैं।
बिहार की जनता देखेगी कि क्या वास्तव में उनके लिए 14 नवंबर दिवाली जैसा खुशियां लेकर आएगा। या फिर राजनीतिक भविष्यवाणियां गलत साबित होंगी।
राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं। चुनाव प्रचार अपने चरम पर पहुंच चुका है।
हर पार्टी जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। मतदाता अपना फैसला सुनाने के लिए तैयार हैं।










