
तमिलनाडु ने एक बार फिर खेल जगत में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। चेन्नई की 23 वर्षीय अनुपमा रामचंद्रन ने इंटरनेशनल बिलियर्ड्स एंड स्नूकर फेडरेशन विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है।
यह जीत उनके लिए विशेष महत्व रखती है क्योंकि वह इस खिताब को जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। अनुपमा ने इस उपलब्धि को अपने स्नूकर करियर का सबसे खास पल बताया।
विश्वविद्यालय की पढ़ाई और स्नूकर करियर के बीच संतुलन बनाते हुए अनुपमा ने यह ऐतिहासिक सफलता हासिल की। उन्होंने कहा कि यह जीत उनके सफर का एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
इससे पहले केवल दो अन्य भारतीय महिलाएं इस टूर्नामेंट के फाइनल तक पहुंच पाई थीं। अनुपमा वर्तमान में एमओपी में पब्लिक पॉलिसी में अपनी दूसरी स्नातकोत्तर डिग्री कर रही हैं।
खेल ने उन्हें जीवन में काफी मदद की है। अनुपमा ने बताया कि खेल के कारण ही उन्हें एमओपी में दाखिला मिला और विश्वविद्यालय ने उन्हें पूरा सहयोग दिया।
क्रिकेट टीम की ऐतिहासिक विश्व कप जीत के बाद भारतीय महिला खेलों को जो मान्यता मिल रही है, उसमें अनुपमा की यह सफलता एक और मील का पत्थर साबित होगी।
फाइनल मैच काफी चुनौतीपूर्ण रहा। अनुपमा ने बताया कि मैच बेहद कड़ा था और कई बार लगा कि जीत उनके हाथ से निकल सकती है। आखिरी कुछ प्वाइंट्स ने मैच का रुख उनके पक्ष में कर दिया।
स्नूकर के बढ़ते स्तर पर बात करते हुए अनुपमा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में महिला स्नूकर में काफी सुधार आया है। भारत और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा का स्तर ऊंचा हुआ है।
उन्होंने कहा कि वह इस माहौल में खेल पाने को अपना सौभाग्य मानती हैं। भारत में क्यू स्पोर्ट्स में कई पदक विजेता हैं जिन्हें मान्यता मिलनी चाहिए।
अनुपमा का मानना है कि खिलाड़ियों को उचित पहचान और प्रोत्साहन मिलने पर यह खेल और लोकप्रिय हो सकता है। उनकी उपलब्धियों की सूची काफी प्रभावशाली है।
उन्होंने अब तक पांच प्रमुख स्वर्ण पदक जीते हैं जिनमें एशियन स्नूकर चैंपियनशिप 2024 शामिल है। वर्ष 2023 की महिला विश्व कप और डब्ल्यूडब्ल्यूएस अंडर-21 विश्व चैंपियनशिप भी उनके नाम है।
इससे पहले 2017 में उन्होंने आईबीएसएफ वर्ल्ड ओपन अंडर-16 खिताब भी जीता था। अनुपमा की यह सफलता देश की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
उनकी इस उपलब्धि ने भारत में क्यू स्पोर्ट्स के भविष्य के लिए नई संभावनाएं खोल दी हैं। यह जीत न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष का परिणाम है बल्कि उनके परिवार और प्रशिक्षकों के समर्थन का भी प्रतिफल है।
अनुपमा की सफलता इस बात का प्रमाण है कि दृढ़ संकल्प और समर्पण से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनकी इस उपलब्धि से पूरे देश को गर्व की अनुभूति हो रही है।










