
दिल्ली का वायु प्रदूषण संकट राष्ट्रीय चिंता का विषय है, लेकिन असम भी तेजी से इस मामले में आगे बढ़ रहा है। एक नए अध्ययन के अनुसार असम के ग्यारह जिले देश के शीर्ष पचास प्रदूषित जिलों में शामिल हैं।
यह आंकड़ा उपग्रह आधारित पीएम2.5 मूल्यांकन से सामने आया है। इस अध्ययन में पूरे भारत के वायु क्षेत्रों, राज्यों और जिलों का विश्लेषण किया गया।
सबसे प्रदूषित जिले कुछ चुनिंदा राज्यों में केंद्रित हैं। दिल्ली और असम दोनों के ग्यारह-ग्यारह जिले शीर्ष पचास में शामिल हैं।
बिहार और हरियाणा के सात-सात जिले इस सूची में हैं। उत्तर प्रदेश के चार, त्रिपुरा के तीन और राजस्थान व पश्चिम बंगाल के दो-दो जिले भी शामिल हैं।
चंडीगढ़, मेघालय और नागालैंड का एक-एक जिला भी इस सूची में शामिल है। यह अध्ययन सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर ने किया है।
कई राज्यों के सभी मॉनिटर किए गए जिले राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक प्रदूषित पाए गए। इनमें दिल्ली, असम, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ शामिल हैं।
हिमाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर भी इस सूची में हैं। असम के सभी चौंतीस जिले 2024 में राष्ट्रीय मानकों से अधिक प्रदूषित रहे।
असम, दिल्ली, पंजाब और त्रिपुरा साल भर प्रदूषण हॉटस्पॉट बने रहते हैं। यहां मानसून के दौरान भी पीएम2.5 मानकों से अधिक रहता है।
जब देश के अधिकांश हिस्सों में वायु गुणवत्ता बेहतर होती है, तब भी इन राज्यों में प्रदूषण का स्तर ऊंचा बना रहता है। असम के इक्कीस जिले मानसून में भी मानकों से अधिक प्रदूषित रहे।
दिल्ली के नौ, पंजाब के पंद्रह और त्रिपुरा के छह जिलों ने भी मानसून में खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की। इससे पता चलता है कि मौसमी राहत अकेले पर्याप्त नहीं है।
पूर्वोत्तर राज्य अप्रत्याशित प्रदूषण हॉटस्पॉट के रूप में उभरे हैं। असम और त्रिपुरा तीनों मौसमों में शीर्ष पांच में शामिल रहे।
सर्दी, गर्मी और मानसून तीनों मौसमों में इन राज्यों ने उच्च प्रदूषण स्तर दर्ज किया। अध्ययन ने सुझाव दिया है कि राज्यों को जिला स्तर पर वायु गुणवत्ता कार्य योजना बनानी चाहिए।
उपग्रह डेटा की मदद से हॉटस्पॉट की पहचान की जा सकती है। उच्च जोखिम वाली आबादी को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
शमन संसाधनों का कुशल आवंटन किया जाना चाहिए। इंडो-गंगेटिक प्लेन और पूर्वोत्तर राज्यों में लगातार उच्च पीएम2.5 स्तर बना हुआ है।
इससे निपटने के लिए प्रमुख क्षेत्रीय स्रोतों पर ध्यान देना होगा। बिजली उत्पादन, औद्योगिक गतिविधियां, बायोमास जलाना और परिवहन जैसे स्रोतों पर कार्य करना आवश्यक है।
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। सभी हितधारकों को मिलकर काम करना होगा।










