
असम सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। कैबिनेट ने कक्षा छह, सात और आठ के पाठ्यक्रम में राज्य के इतिहास और भूगोल को अनिवार्य विषय बनाने को मंजूरी दे दी है।
इस निर्णय की घोषणा मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कैबिनेट बैठक के बाद की। उन्होंने बताया कि यह फैसला सेवानिवृत्त न्यायाधीश बिप्लब कुमार शर्मा की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की सिफारिश पर लिया गया है।
यह समिति असम समझौते के क्लॉज छह को लागू करने के लिए गठित की गई थी। इस कदम का उद्देश्य युवा पीढ़ी को अपने राज्य की विरासत और भौगोलिक विशेषताओं से अवगत कराना है।
इसके अलावा, कैबिनेट ने सिलचर में एक ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के निर्माण के लिए भी एक महत्वपूर्ण मंजूरी दी। एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया को डोलू टी एस्टेट की तीन हजार बीघा जमीन सौंपी जाएगी।
यह जमीन लगभग नौ सौ नब्बे एकड़ के बराबर है और पहले ही सरकारी भूमि में परिवर्तित की जा चुकी है। इस जमीन के हस्तांतरण के बाद एएआई केंद्र सरकार से एयरपोर्ट निर्माण की अनुमति ले सकेगी।
शिक्षा के क्षेत्र में एक और बड़ी पहल हुई है। असम सरकार और डसॉल्ट सिस्टम्स इंडिया के बीच एक संयुक्त प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली है। यह प्रोजेक्ट असम इंजीनियरिंग कॉलेज में स्थापित किया जाएगा।
पांच हजार वर्ग फुट में फैले इस प्रोजेक्ट की लागत तीन सौ तैंतालीस करोड़ रुपये आएगी। इसमें एयरोस्पेस और डिफेंस, ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के कोर्स पेश किए जाएंगे।
इस राशि में से असम सरकार तैंतालीस करोड़ रुपये का योगदान करेगी। वहीं डसॉल्ट सिस्टम्स इंडिया दो सौ करोड़ रुपये का निवेश करेगी। इससे राज्य के छात्रों को उच्च तकनीकी शिक्षा मिलने की उम्मीद है।
कैबिनेट ने असम के दूसरे सैनिक स्कूल के निर्माण को भी प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की। यह स्कूल कार्बी आंगलोंग जिले के लोंगवाकू में बनेगा।
इस स्कूल के निर्माण पर पैंतीस करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस राशि का अस्सी प्रतिशत हिस्सा केंद्रीय रक्षा मंत्रालय वहन करेगा। शेष बीस प्रतिशत राशि असम सरकार देगी।
यह स्कूल राज्य के युवाओं को रक्षा सेवाओं में करियर बनाने के लिए प्रेरित और तैयार करेगा। इससे सैन्य शिक्षा के क्षेत्र में राज्य की पहुंच बढ़ेगी।
इन सभी निर्णयों से स्पष्ट है कि असम सरकार शिक्षा और बुनियादी ढांचे पर विशेष ध्यान दे रही है। पाठ्यक्रम में बदलाव से छात्रों को स्थानीय इतिहास की गहरी समझ मिलेगी।
नए एयरपोर्ट और तकनीकी प्रोजेक्ट से राज्य के विकास को गति मिलने की संभावना है। सैनिक स्कूल का निर्माण युवाओं के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगा।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इन फैसलों को राज्य के समग्र विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। ये निर्णय असम के भविष्य को नई दिशा देने वाले साबित हो सकते हैं।
राज्य सरकार की योजना है कि छात्र अपनी जड़ों से जुड़े रहें और आधुनिक शिक्षा भी प्राप्त करें। इसी दृष्टि से इतिहास, भूगोल के साथ हाई टेक कोर्स और सैन्य शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इन पहलों के सकारात्मक परिणाम आने वाले समय में दिखाई देंगे। असम का यह प्रयास अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।










