
नई दिल्ली। बुधवार को देशभर में भारत बंद का आयोजन किया गया, जिसमें 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और INDIA गठबंधन के दलों ने हिस्सा लिया। इन संगठनों ने नए श्रम कोड को वापस लेने, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने और मजदूर अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। इन यूनियनों का प्रतिनिधित्व करने वाले 25 करोड़ से अधिक श्रमिकों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने 17 सूत्रीय मांग पत्र के साथ सड़कों पर मार्च किया। ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि केंद्र सरकार मजदूरों के हितों को नजरअंदाज करते हुए आर्थिक सुधारों को थोप रही है। यह आंदोलन पहले 20 मई को होना था, लेकिन पहलगाम हमले और भारत-पाकिस्तान तनाव के चलते इसे 9 जुलाई तक टाल दिया गया।
दिल्ली, ओडिशा, केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में मजदूरों ने विरोध जताया। केरल में कई दुकानें बंद रहीं और परिवहन सेवाएं प्रभावित हुईं, जबकि तमिलनाडु में बस सेवाएं जल्द ही फिर से शुरू हो गईं। पश्चिम बंगाल में राज्य संचालित बसें प्रभावित रहीं।
बिहार में कांग्रेस और RJD ने भी ‘बिहार बंद’ रैली में हिस्सा लिया, जहां चुनावी रोल के विशेष सर्वेक्षण (SIR) को लेकर सवाल उठाए गए। INDIA गठबंधन के नेताओं ने भी प्रदर्शन में शिरकत की। CPI महासचिव डी. राजा, CPI(ML) नेता दीपंकर भट्टाचार्य और बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने NDA पर महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया। उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अचानक बढ़े मतदाताओं की संख्या पर सवाल खड़े किए और दावा किया कि नए वोट केवल BJP को ही मिले।
RJD नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर ‘गोदी आयोग’ होने का आरोप लगाते हुए कहा कि NDA गठबंधन गरीब मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा रहा है। पटना में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सड़क जाम कर विरोध जताया।
पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी इलाके में TMC और ट्रेड यूनियन नेताओं के बीच झड़प हुई। कोलकाता में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटाकर बसों को रास्ता दिया। TMC नेता कुनाल घोष ने कहा कि बंगाल में जनजीवन सामान्य रहा।
ओडिशा में BJD के श्रमिक संगठन ‘बिजू श्रमिक समुख्य’ ने भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। BJD नेता प्रफुल्ल समल ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकार मजदूर विरोधी नीतियां बना रही है। उन्होंने कहा कि 44 श्रम कानूनों को 4 कोड में बदलकर मालिकों का पक्ष लिया जा रहा है।
CPI(M) नेता ने बताया कि यह आजाद भारत का 32वां आम हड़ताल है। उन्होंने मांग की कि सभी श्रमिकों को 26,000 रुपये न्यूनतम मजदूरी और MNREGA के तहत 200 दिन का रोजगार व 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिलनी चाहिए।
कर्नाटक में कांग्रेस नेता रंदीप सुरजेवाला ने कहा कि 25 करोड़ श्रमिक रोजगार के अभाव में भारत बंद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी 45 साल के उच्च स्तर पर है।
18 मार्च 2025 को श्रमिक संगठनों ने दो महीने के अभियान के बाद 20 मई को आम हड़ताल का एलान किया था, जिसे बाद में स्थगित कर दिया गया। AICCTU के बयान में कहा गया कि यह आंदोलन BJP सरकार की कॉरपोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ है।
2020 में केंद्र सरकार ने 29 श्रम कानूनों को 4 कोड में समेटा था। सरकार का दावा है कि इनसे श्रमिकों को सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित होगा। इनमें मजदूरी कोड, औद्योगिक संबंध कोड, सामाजिक सुरक्षा कोड और कार्य स्थिति कोड शामिल हैं।
INTUC, AITUC, HMS, CITU, SEWA समेत 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भारत बंद में हिस्सा लिया, लेकिन RSS से जुड़े BMS ने इसमें भाग नहीं लिया।