
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन ने ‘बिहार का तेजस्वी प्राण’ नामक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया है। यह घोषणापत्र राज्य के विकास और जनकल्याण के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं प्रस्तुत करता है।
महागठबंधन ने वादा किया है कि सरकार बनने के 20 दिनों के भीतर हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने के लिए कानून पारित किया जाएगा। इससे राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद है।
‘माई-बहन मान योजना’ के तहत महिलाओं को अगले पांच वर्षों तक प्रतिमाह 2,500 रुपये की वित्तीय सहायता मिलेगी। यह योजना 1 दिसंबर से लागू होगी।
विपक्षी गठबंधन ने पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने का वादा किया है। यह योजना कांग्रेस के एजेंडे में शामिल रही है और हिमाचल प्रदेश में इसे पहले ही लागू किया जा चुका है।
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को पारदर्शी और कल्याणकारी बनाने का संकल्प लिया गया है। वक्फ संशोधन अधिनियम को रोक दिया जाएगा।
पंचायत और नगर निकायों में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण 20% से बढ़ाकर 30% किया जाएगा। अनुसूचित जातियों के लिए यह सीमा 16% से 20% होगी।
अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण में आनुपातिक वृद्धि सुनिश्चित की जाएगी। इससे सभी वर्गों का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा।
घोषणापत्र के अनुसार प्रत्येक परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी। इससे लोगों के बिजली बिल का बोझ कम होगा।
किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सभी फसलों की खरीद की गारंटी दी जाएगी। मंडी और मार्केट कमेटी को पुनर्जीवित किया जाएगा।
विभागीय, उपविभागीय और ब्लॉक स्तर पर नई मंडियां खोली जाएंगी। एपीएमसी अधिनियम को फिर से लागू किया जाएगा।
जन स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत हर व्यक्ति को 25 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मिलेगा। इससे लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
ये सभी वादे बिहार के समग्र विकास और जनकल्याण को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। इनके क्रियान्वयन से राज्य के हर वर्ग को लाभ मिलने की उम्मीद है।
चुनाव में इन घोषणाओं का मतदाताओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। राजनीतिक दलों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है।
बिहार के मतदाता इन वादों का मूल्यांकन करेंगे और अपना निर्णय लेंगे। राज्य का भविष्य इस चुनाव के नतीजों पर निर्भर करेगा।











