
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी गई है। चुनाव आयोग ने विशेष गहन संशोधन के बाद इस सूची को तैयार किया है।
सूची में अब 7.42 करोड़ मतदाता शामिल हैं। यह संख्या इस साल 24 जून के 7.89 करोड़ मतदाताओं से कम है।
चुनाव आयोग के अनुसार मसौदा सूची से 65 लाख मतदाताओं को हटाया गया है। इनमें 3.66 लाख अयोग्य मतदाता शामिल थे।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस प्रक्रिया में शामिल सभी पक्षों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह एक जटिल अभ्यास था।
विपक्ष ने अंतिम सूची पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने इसे अनुचित और पारदर्शिता से रहित बताया।
बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार ने कहा कि प्रक्रिया शुरू से ही दोषपूर्ण थी। उन्होंने 68 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने पर सवाल उठाए।
राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने दावा किया कि गरीबों और दलितों के नाम सूची से गायब हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में हज़ारों नाम हटाए गए।
योगेंद्र यादव ने सोशल मीडिया पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि 4.6 लाख नए मतदाता सूची में कैसे जुड़ गए।
एनडीए ने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया है। भाजपा प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने इसे जवाबी कार्रवाई बताया।
जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि 21.53 लाख नए नाम जोड़े गए हैं। उन्होंने इसे अति पिछड़ा वर्ग और दलित समुदाय के लिए सकारात्मक बताया।
राजनीतिक बहस तेज हो गई है। दोनों पक्ष अपने अपने दावों पर अड़े हुए हैं।
चुनाव आयोग ने पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष बताया है। आयोग ने सभी हितधारकों के सहयोग की सराहना की।
मतदाता सूची में बदलाव को लेकर विवाद जारी है। राजनीतिक दलों के बीच तनाव बना हुआ है।
बिहार चुनाव की तैयारियां पूरे जोरों पर हैं। मतदाता सूची को लेकर विवाद ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है।