
पटना। चुनाव आयोग (EC) ने शुक्रवार को बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन संशोधन (SIR) के बाद मतदाता सूची का ड्राफ्ट जारी किया। हालांकि, संकलित सूची उपलब्ध नहीं कराई गई है, लेकिन मतदाता EC की वेबसाइट पर जाकर अपना नाम चेक कर सकते हैं।
जून में SIR शुरू होने से पहले राज्य में 7.93 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे। हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि नए ड्राफ्ट में कुल कितने मतदाता शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को शाम तक मतदाता सूची के प्रिंटआउट उपलब्ध कराए जाएंगे।
ड्राफ्ट सूची के प्रकाशन के साथ ही ‘दावे और आपत्तियां’ दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जो 1 सितंबर तक चलेगी। इस दौरान, जिन मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटाए गए हैं, वे संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं।
विधानसभा चुनाव इसी साल के अंत में होने हैं।
SIR के पहले चरण में, मतदाताओं को ‘एन्यूमरेशन फॉर्म’ दिए गए थे, जिसे भरकर उन्हें बूथ लेवल अधिकारी (BLO) या राजनीतिक दलों द्वारा नामित बूथ लेवल एजेंट (BLA) को वापस करना था। इसमें मतदाताओं के हस्ताक्षर और पहचान प्रमाण के दस्तावेज शामिल करने थे।
लोगों के पास इन फॉर्म को ऑनलाइन डाउनलोड और जमा करने का भी विकल्प था।
25 जुलाई तक यह प्रक्रिया पूरी हो गई थी। चुनाव आयोग के अनुसार, ‘7.23 करोड़ मतदाताओं’ ने एन्यूमरेशन फॉर्म जमा किए, जबकि 35 लाख मतदाता ‘स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं या अज्ञात हैं’।
इसके अलावा, 22 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है, जबकि सात लाख लोग एक से अधिक मतदाता सूची में पंजीकृत पाए गए।
चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि 1.2 लाख मतदाताओं ने एन्यूमरेशन फॉर्म जमा नहीं किए थे।
77,895 पोलिंग केंद्रों पर तैनात BLOs ने यह बड़ा अभ्यास किया, जिन्हें 1.60 लाख BLAs और अन्य स्वयंसेवकों ने सहायता प्रदान की। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी 243 EROs और 2,976 सहायक EROs ने की।
विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि यह अभ्यास आगामी चुनावों में सत्तारूढ़ एनडीए की मदद करने के लिए किया गया था। सुप्रीम कोर्ट में भी इसके खिलाफ याचिकाएं दायर की गईं, जिसने इस सप्ताह कहा था कि SIR का परिणाम ‘बड़े पैमाने पर समावेशन होना चाहिए, बहिष्करण नहीं’।
अब मतदाताओं को अपनी जानकारी जांचने और आपत्तियां दर्ज कराने का समय मिल गया है। राजनीतिक दल भी इस प्रक्रिया पर नजर रख रहे हैं, क्योंकि बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है।