
बिहार विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। महागठबंधन के चार उम्मीदवारों ने अपने सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के पक्ष में नामांकन वापस ले लिए हैं।
इनमें कांग्रेस के तीन और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के एक उम्मीदवार शामिल हैं। यह कदम कई सीटों पर चल रही ‘फ्रेंडली फाइट’ की स्थिति में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कांग्रेस उम्मीदवार सतीश कुमार ने वारसलिगंज सीट से RJD की उम्मीदवार अनीता के पक्ष में नामांकन वापस लिया। इसी तरह लालगंज सीट से आदित्य कुमार ने RJD की शिवानी शुक्ला के लिए अपना नामांकन वापस लिया।
प्रानपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार तौक़िर आलम ने RJD की इशरत परवीन के पक्ष में नामांकन वापस लिया। VIP उम्मीदवार बिंदु गुलाब यादव ने बाबूबरही सीट से RJD के अरुण कुमार सिंह के पक्ष में नामांकन वापस लिया।
यह विकास RJD और महागठबंधन के लिए एक बड़ी राहत के रूप में सामने आया है। चुनावी रणनीति के तहत यह कदम गठबंधन की एकजुटता को दर्शाता है।
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था। विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार नामित किया गया।
गहलोत ने तेजस्वी यादव को युवा नेता बताते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य पर विश्वास जताया। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता तेजस्वी यादव का समर्थन करेगी।
पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गहलोत ने कहा, ‘तेजस्वी यादव इस चुनाव के लिए महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। वह एक युवा व्यक्ति हैं और उनके पास लंबा भविष्य है।’
विरोधी गठबंधन महागठबंधन 28 अक्टूबर को पटना में अपना संयुक्त घोषणापत्र जारी करेगा। गठबंधन सूत्रों ने इसकी पुष्टि की है।
RJD के नेतृत्व वाले इस गठबंधन में कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) शामिल हैं। मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) भी इस गठबंधन का हिस्सा है।
बिहार विधानसभा चुनाव दो चरणों में 6 नवंबर और 11 नवंबर को होंगे। चुनाव परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।
यह चुनाव बिहार की राजनीति के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। सभी दल अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
महागठबंधन की यह रणनीति चुनावी समीकरणों को बदल सकती है। उम्मीदवारों का नामांकन वापस लेना गठबंधन की एकजुटता को दर्शाता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम महागठबंधन के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। एकजुटता का यह प्रदर्शन मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है।
चुनावी रणनीति के तहत यह समझौता महागठबंधन की साझा राजनीति को दर्शाता है। सभी दल मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं।
बिहार की जनता अब मतदान के माध्यम से अपना फैसला सुनाएगी। यह चुनाव राज्य के भविष्य की दिशा तय करेगा।




