
चुनाव आयोग ने बिहार में पर्दानशीन महिला मतदाताओं के लिए विशेष प्रबंधों की घोषणा की है। यह कदम महिलाओं की मतदान में भागीदारी बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
इन विशेष व्यवस्थाओं के तहत मतदान केंद्रों पर महिला मतदान अधिकारी या सहायक उपस्थित रहेंगी। इससे पर्दानशीन महिलाओं की पहचान गरिमापूर्ण तरीके से सुनिश्चित की जा सकेगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सभी मतदान केंद्रों पर तैनात रहेंगी। उनका मुख्य कार्य बुरक़ा पहनकर आने वाली महिलाओं की पहचान सत्यापित करने में सहायता करना होगा।
चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, मतदान केंद्र के अंदर पहचान सत्यापन की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से परिभाषित है। इन नियमों का पालन सख्ती से किया जाएगा।
बुधवार को चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की। कुल 90,712 आंगनवाड़ी सेविकाओं को चुनावी ड्यूटी पर तैनात किया जाएगा।
बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जैसवाल ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई थी। उन्होंने चुनाव आयोग से बुरक़ा पहनकर आने वाली महिलाओं के चेहरे मतदाता पहचान पत्र से मिलाने का अनुरोध किया था।
चुनाव आयोग ने इस मांग पर गंभीरता से विचार किया। अब नई व्यवस्था में महिलाओं की निजता का पूरा ध्यान रखा गया है।
मतदान प्रक्रिया के दौरान महिलाओं की गोपनीयता बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिए विशेष प्रबंधों में इस पहलू पर विशेष जोर दिया गया है।
बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए चुनाव दो चरणों में होंगे। पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर को आयोजित किया जाएगा।
मतगणना की तारीख 14 नवंबर निर्धारित की गई है। इस दिन सभी मतदान केंद्रों के परिणाम घोषित किए जाएंगे।
चुनाव आयोग की यह पहल समावेशी मतदान को बढ़ावा देने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। इससे अधिक से अधिक महिलाएं मतदान प्रक्रिया में भाग ले सकेंगी।
नई व्यवस्था से मतदान केंद्रों पर होने वाली परेशानियों में कमी आएगी। महिला मतदाताओं को अब पहचान सत्यापन में आसानी होगी।
चुनाव आयोग ने इस पूरी प्रक्रिया को सुगम और पारदर्शी बनाने का प्रयास किया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका इस दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगी।
बिहार चुनाव में महिला मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के ये प्रयास सराहनीय हैं। यह लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।