
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को राज्य के सफाई कर्मचारियों के संरक्षण, कल्याण और सामाजिक उत्थान के लिए बिहार राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के गठन की घोषणा की।
यह कदम आगामी विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ी कल्याणकारी पहल के रूप में देखा जा रहा है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस घोषणा को साझा करते हुए नीतीश कुमार ने लिखा, “मैं सूचित करते हुए प्रसन्न हूं कि मैंने बिहार राज्य में सफाई कर्मचारियों के अधिकारों और हितों के लिए संरक्षण, कल्याण, पुनर्वास, सामाजिक उत्थान, शिकायत निवारण और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की निगरानी हेतु बिहार राज्य सफाई कर्मचारी आयोग गठित करने का निर्देश विभाग को दिया है।”
आयोग का महत्व
मुख्यमंत्री ने बताया कि यह आयोग सफाई कार्यों में लगे वंचित वर्गों को मुख्यधारा में शामिल करने और उनके सामाजिक व आर्थिक विकास में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
बिहार राज्य सफाई कर्मचारी आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पांच सदस्य होंगे। आयोग की रचना में कम से कम एक महिला या ट्रांसजेंडर व्यक्ति को शामिल किया जाएगा। इसे राज्य सरकार की समावेशी पहल के रूप में देखा जा रहा है।
चुनावी वातावरण में दूसरी घोषणाएं
यह बिहार सरकार की ओर से हाल ही में की गई इकलौती बड़ी घोषणा नहीं है। इससे पहले मुख्यमंत्री ने बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना के तहत पत्रकारों की पेंशन राशि में बड़ी वृद्धि की घोषणा की थी।
पात्र पत्रकारों के लिए मासिक पेंशन राशि 6,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दी गई है। साथ ही पेंशन प्राप्त कर रहे पत्रकारों की मृत्यु की स्थिति में उनके आश्रित जीवनसाथी को अब 3,000 रुपये के बजाय 10,000 रुपये मासिक पेंशन जीवनभर मिलेगी।
नीतीश कुमार ने कहा कि आयोग सफाई कर्मचारियों के हितों से संबंधित सुझाव देगा, उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए सरकार को सलाह देगा और उनके कल्याण से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा व क्रियान्वयन के लिए उचित कार्रवाई करेगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनावी माहौल में ये घोषणाएं सरकार की जनकल्याणकारी छवि को मजबूत करने के प्रयास के तौर पर देखी जा सकती हैं। सफाई कर्मचारियों के लिए यह नया आयोग उनके कामकाजी परिस्थितियों में सुधार और सामाजिक सम्मान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।