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पटना के दानापुर इलाके में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण गंगा और सोन नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। इससे आवासीय क्षेत्रों में पानी भर गया है और सड़कें जलमग्न हो गई हैं। पानी की अधिकता के कारण यहां के निवासियों का दैनिक जीवन ठप पड़ गया है। दानापुर प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है और राहत व बचाव कार्य में जुटा हूआ है।
सबडिविजन ऑफिसर दिव्या शक्ति ने एएनआई को बताया कि प्रभावित घरों से लोगों को निकालने के लिए नावों का प्रबंध किया गया है। उन्होंने कहा, “हम बढ़ते जलस्तर पर नजर रख रहे हैं और सभी राहत केंद्रों में बुनियादी सुविधाएं तैयार की गई हैं। जो लोग अपने घरों से निकलना चाहते हैं, उनके लिए नावों का इंतजाम किया गया है।”
उन्होंने आगे बताया, “मनेर के गांधी पार्क को पशुओं के लिए चिन्हित किया गया है और वहां चारा भी उपलब्ध कराया जा रहा है। गांवों में पानी घुसने की कोई रिपोर्ट नहीं है। हम दानापुर के स्थानीय जनप्रतिनिधियों के संपर्क में हैं।”
इस बीच, उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भी गंगा नदी का बढ़ता जलस्तर आवासीय इलाकों में पानी भरने का कारण बना है। एक निवासी मंदाकिनी प्रकाश ने बताया कि नालों का पानी उनके इलाके में घुस गया है, जिससे डेंगू जैसी बीमारियां फैल सकती हैं।
मंदाकिनी ने कहा, “यह नालों का पानी है, गंगा नदी का नहीं। इससे डेंगू होता है। हमें बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पहले परिवहन बंद हुआ, फिर कई बीमारियां फैल गईं। हम चाहते हैं कि ये समस्याएं जल्द से जल्द हल हों।”
एक अन्य निवासी सुरेंद्र मिश्रा ने बताया, “छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। पानी भरने के कारण कोई कहीं नहीं जा पा रहा है, और सब्जी विक्रेता नहीं आने के कारण खाना भी नहीं बन पा रहा है। 3-4 साल बाद इस इलाके में फिर से बाढ़ आई है।”
उधर, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बादल फटने और भूस्खलन के बाद बचाव और सफाई कार्य तेजी से चल रहा है। इससे उत्तरकाशी-हरसिल मार्ग के कई हिस्से अवरुद्ध हो गए हैं। प्रभावित इलाकों में मलबा हटाने और संपर्क बहाल करने के लिए जेसीबी सहित भारी मशीनरी तैनात की गई है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की एक टीम भी घटनास्थल पर तैनात कर दी गई है।
बादल फटने के कारण उत्तरकाशी-हरसिल मार्ग पर भटवाड़ी में सड़क पूरी तरह से बह गई है। हरसिल की ओर जाने वाली सड़क रातभर बंद रही। धराली, जहां बादल फटने से काफी नुकसान हुआ है, घटनास्थल से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों के अनुसार, अब तक 130 से अधिक लोगों को बचाया जा चुका है।