
नई दिल्ली। बिहार में विशेष गहन संशोधन अभ्यास के तहत मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित होने से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बताया कि सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों को इसका भौतिक और डिजिटल प्रति दी जाएगी। यह कदम गलत शामिल किए गए या बाहर रखे गए नामों की जांच और उन्हें सुधारने के लिए उठाया गया है। 38 जिला चुनाव अधिकारी इस काम को अंजाम देंगे।
मसौदा सूची ऑनलाइन भी उपलब्ध होगी, जिसे चुनाव आयोग के पोर्टल और ECINet ऐप पर देखा जा सकेगा। कुमार ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि बिहार के मुख्य चुनाव अधिकारी और 243 निर्वाचन क्षेत्रों के पंजीकरण अधिकारी 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक किसी भी मतदाता या मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी को आमंत्रित करेंगे ताकि वे लापता पात्र मतदाताओं के नाम जोड़ने, अयोग्य मतदाताओं के नाम हटाने या मसौदा मतदाता सूची में किसी भी प्रविष्टि को सुधारने का दावा या आपत्ति उठा सकें।
सूत्रों के मुताबिक, यह सूची न केवल बूथ स्तर के अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित और अनुपलब्ध मतदाताओं तथा कई स्थानों पर पंजीकृत पाए गए लोगों (कुल 65 लाख) को बाहर करेगी, बल्कि पहली बार मतदाता बनने वाले या बिहार के बाहर से आए नए मतदाताओं को भी शामिल करेगी।
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि फॉर्म 6 (पहली बार मतदाता) या फॉर्म 8 (बिहार के बाहर से स्थानांतरित) के जरिए आवेदन करने वाले सभी लोग, जिन्होंने निर्धारित प्रारूप में आवेदन किया है और जिनके पास नागरिकता तथा जहां लागू हो वहां उनके माता-पिता की नागरिकता का प्रमाण भी है, उनके नाम मसौदा सूची में शामिल किए जाएंगे।
अधिकारी ने यह भी बताया कि आगामी बिहार चुनाव के लिए नामांकन के अंतिम दिन तक मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए आवेदन स्वीकार किए जाएंगे। चुनाव आयोग ने पहले ही कहा था कि वह अगस्त में नए और स्थानांतरित मतदाताओं के लिए एक विशेष नामांकन अभियान चलाएगा।
भारती जैन द टाइम्स ऑफ इंडिया, नई दिल्ली की वरिष्ठ संपादक हैं। वह 1996 से सुरक्षा मामलों पर लिख रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय, सुरक्षा एजेंसियों, चुनाव आयोग और कांग्रेस जैसे प्रमुख राजनीतिक मुद्दों को कवर करने के बाद, वह अगस्त 2012 में टाइम्स ऑफ इंडिया से जुड़ी थीं। उनकी खबरें आतंकवाद और आंतरिक संघर्ष से जुड़े मुद्दों के साथ-साथ भारत के पड़ोस में रणनीतिक मामलों की पड़ताल करती हैं।