
नई दिल्ली: बिहार की मतदाता सूची में विदेशी नागरिकों के नाम शामिल होने को लेकर विवाद तेजी से राजनीतिक रंग लेता जा रहा है। भाजपा नेता संजय जायसवाल ने आरजेडी के तेजस्वी यादव पर जमकर हमला बोला है। यह मामला चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) प्रक्रिया के बीच सामने आया है जो राज्य में सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच नए विवाद का कारण बन गया है।
मतदाता सूची में विदेशियों के नाम मिलने की रिपोर्ट्स पर तेजस्वी यादव के बयानों के जवाब में जायसवाल ने उन्हें ‘अशिक्षित और गैरजिम्मेदार’ बताया।
जायसवाल ने एएनआई से कहा, ‘सिर्फ तेजस्वी यादव ही मीडियाकर्मियों या किसी भी इंसान के बारे में ऐसी टिप्पणियां कर सकते हैं। तेजस्वी यादव की समस्या यह है कि वे पढ़े-लिखे नहीं हैं, यही वजह है कि घरवाले उन्हें जो याद करा देते हैं, वही दोहरा देते हैं। लेकिन अगर उनसे इसके बाहर कोई सवाल पूछ लिया जाए तो वे इस तरह की गड़बड़ी कर बैठते हैं।’
सार्वजनिक माफी मांगने की बात करते हुए जायसवाल ने आगे कहा, ‘तेजस्वी यादव को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए, पछतावा जताना चाहिए और यह शपथ लेनी चाहिए कि वे घर पर जो सिखाया जाता है, उससे अधिक कुछ नहीं बोलेंगे।’
यह कहासुनी तेजस्वी के उस बयान के बाद तेज हो गई जिसमें उन्होंने बिहार की मतदाता सूची में बांग्लादेशी, नेपाली और यहां तक कि म्यांमार के नागरिकों के नाम मिलने की रिपोर्ट्स का मजाक उड़ाया था।
तेजस्वी ने पूछा, ‘ये सूत्र कौन हैं? ये वही सूत्र हैं जिन्होंने कहा था कि इस्लामाबाद, कराची और लाहौर पर कब्जा कर लिया गया है।’ उन्होंने व्यंग्यात्मक तरीके से आगे कहा, ‘ये सूत्र को हम मूत्र समझते हैं।’
तेजस्वी ने एसआईआर प्रक्रिया के समय और उद्देश्य पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘एसआईआर आखिरी बार 2003 में यूपीए सरकार के समय हुआ था। इसके बाद 2014, 2019 और 2024 में कई चुनाव हुए जिनमें हम तीन-चार लाख वोटों से हारे। क्या इसका मतलब यह है कि ये सारे विदेशी पीएम मोदी को वोट देने आए थे? इसका मतलब है कि मतदाता सूची में संदिग्ध तत्वों के नाम जुड़ने के लिए एनडीए जिम्मेदार है।’
इस प्रक्रिया को राजनीतिक रंग दिए जाने का आरोप लगाते हुए तेजस्वी ने कहा, ‘इसका मतलब है कि जितने भी चुनाव उन्होंने जीते हैं, वे सभी धोखाधड़ी से भरे हैं… एसआईआर पूरी तरह से दिखावा है। चुनाव आयोग एक राजनीतिक पार्टी की इकाई की तरह काम कर रहा है।’
इससे पहले आईएएनएस की एक रिपोर्ट में चुनाव आयोग के अधिकारियों के हवाले से कहा गया था कि मतदाता सूची सत्यापन के दौरान उनकी फील्ड टीमों ने नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से आए संदिग्ध विदेशी नागरिकों की ‘बड़ी संख्या’ पहचानी है।
इस साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में एसआईआर अभियान और इसके निष्कर्षों को लेकर यह विवाद काफी राजनीतिक महत्व रखता है। मतदाता सूचियों को साफ करने के उद्देश्य से की गई यह प्रक्रिया जन्म स्थान पर जोर देते हुए मतदाता सूची सत्यापन पर व्यापक राष्ट्रीय बहस को भी प्रभावित कर सकती है।