बिहार मतदाता सूची अपडेट: आधार और PAN नहीं, ये 11 दस्तावेज हैं जरूरी
Ankita
10 July 2025

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग के विशेष गहन संशोधन (SIR) कार्यक्रम ने बहस छेड़ दी है। इसके तहत 2003 की मतदाता सूची में शामिल न होने वाले लोगों को 11 विशेष दस्तावेज पेश करने होंगे, जिनमें आधार, PAN या ड्राइविंग लाइसेंस शामिल नहीं हैं।
लगभग 2.93 करोड़ लोगों को अब अपनी पात्रता साबित करनी होगी। चुनाव आयोग का कहना है कि यह कवायद अयोग्य मतदाताओं, अवैध प्रवासियों, पलायन और नए पात्र मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए की जा रही है।
कौन से हैं ये 11 दस्तावेज?
1. जन्म प्रमाण पत्र: नगर निगम, पंचायत या किसी अधिकृत सरकारी संस्था द्वारा जारी दस्तावेज जिसमें जन्म की तारीख और स्थान हो।
2. पासपोर्ट: विदेश मंत्रालय द्वारा जारी यह दस्तावेज आयु और नागरिकता दोनों का प्रमाण माना जाएगा।
3. मैट्रिक या उच्च शिक्षा प्रमाण पत्र: स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र या विश्वविद्यालय की डिग्री जिसमें आवेदक की जन्मतिथि हो।
4. सरकारी पहचान पत्र या पेंशन दस्तावेज: केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी आईडी कार्ड या पेंशन आदेश।
5. डोमिसाइल प्रमाण पत्र: जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी स्थायी निवास प्रमाण पत्र।
6. वन अधिकार प्रमाण पत्र: आदिवासी समुदायों के लिए वन अधिकार अधिनियम के तहत जारी दस्तावेज।
7. जाति प्रमाण पत्र: अनुसूचित जाति, जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के आवेदकों के लिए वैध प्रमाण पत्र।
8. NRC दस्तावेज: जहां लागू हो, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से संबंधित दस्तावेज।
9. परिवार रजिस्टर: स्थानीय निकायों द्वारा तैयार घरेलू रजिस्टर जिसमें परिवार के सदस्यों का विवरण हो।
10. जमीन या आवंटन पत्र: सरकारी भूमि या आवास आवंटन का प्रमाण पत्र।
11. 1987 से पहले का सरकारी/PSU आईडी: 1987 से पहले जारी कोई भी सरकारी पहचान पत्र।
विपक्ष का विरोध
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महागठबंधन के साथ बिहार चुनाव आयोग के कार्यालय पर मार्च निकाला। उन्होंने इसे “नई विधि, पुरानी साजिश” बताया। बीजेपी ने जवाब देते हुए पूछा कि क्या विपक्ष चुनाव सूची में अवैध घुसपैठियों को चाहता है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे NRC से भी खतरनाक बताया। उनका आरोप है कि यह बंगाल चुनाव से पहले राजनीतिक लक्ष्यीकरण का हिस्सा है।
यह प्रक्रिया नवंबर में होने वाले बिहार चुनाव से पहले पूरी की जानी है।
लगभग 2.93 करोड़ लोगों को अब अपनी पात्रता साबित करनी होगी। चुनाव आयोग का कहना है कि यह कवायद अयोग्य मतदाताओं, अवैध प्रवासियों, पलायन और नए पात्र मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए की जा रही है।
कौन से हैं ये 11 दस्तावेज?
1. जन्म प्रमाण पत्र: नगर निगम, पंचायत या किसी अधिकृत सरकारी संस्था द्वारा जारी दस्तावेज जिसमें जन्म की तारीख और स्थान हो।
2. पासपोर्ट: विदेश मंत्रालय द्वारा जारी यह दस्तावेज आयु और नागरिकता दोनों का प्रमाण माना जाएगा।
3. मैट्रिक या उच्च शिक्षा प्रमाण पत्र: स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र या विश्वविद्यालय की डिग्री जिसमें आवेदक की जन्मतिथि हो।
4. सरकारी पहचान पत्र या पेंशन दस्तावेज: केंद्र या राज्य सरकार द्वारा जारी आईडी कार्ड या पेंशन आदेश।
5. डोमिसाइल प्रमाण पत्र: जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी स्थायी निवास प्रमाण पत्र।
6. वन अधिकार प्रमाण पत्र: आदिवासी समुदायों के लिए वन अधिकार अधिनियम के तहत जारी दस्तावेज।
7. जाति प्रमाण पत्र: अनुसूचित जाति, जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के आवेदकों के लिए वैध प्रमाण पत्र।
8. NRC दस्तावेज: जहां लागू हो, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से संबंधित दस्तावेज।
9. परिवार रजिस्टर: स्थानीय निकायों द्वारा तैयार घरेलू रजिस्टर जिसमें परिवार के सदस्यों का विवरण हो।
10. जमीन या आवंटन पत्र: सरकारी भूमि या आवास आवंटन का प्रमाण पत्र।
11. 1987 से पहले का सरकारी/PSU आईडी: 1987 से पहले जारी कोई भी सरकारी पहचान पत्र।
विपक्ष का विरोध
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महागठबंधन के साथ बिहार चुनाव आयोग के कार्यालय पर मार्च निकाला। उन्होंने इसे “नई विधि, पुरानी साजिश” बताया। बीजेपी ने जवाब देते हुए पूछा कि क्या विपक्ष चुनाव सूची में अवैध घुसपैठियों को चाहता है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे NRC से भी खतरनाक बताया। उनका आरोप है कि यह बंगाल चुनाव से पहले राजनीतिक लक्ष्यीकरण का हिस्सा है।
यह प्रक्रिया नवंबर में होने वाले बिहार चुनाव से पहले पूरी की जानी है।