
बिहार सरकार ने महिलाओं के लिए एक नई नकद योजना शुरू की है। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत जीविका स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को ₹10,000 दिए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 75 लाख महिलाओं को पहली किश्त का हस्तांतरण किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अक्टूबर में और महिलाओं को यह राशि देंगे।
यह योजना दिसंबर तक चलने वाली है। इसका उद्देश्य महिला उद्यमियों को सहायता प्रदान करना है।
चुनाव से पहले नकद योजनाओं की घोषणा एक आम बात हो गई है। हर राजनीतिक पार्टी इस फॉर्मूले का इस्तेमाल करती आई है।
बिहार चुनाव से पहले सरकार ने बजटीय सीमाओं को ध्यान में रखते हुए इस योजना पर विचार किया। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने महिलाओं को मासिक ₹2,500 देने का वादा किया था।
बिहार में 11 लाख स्वयं सहायता समूह हैं। ये लगभग 1.5 करोड़ महिलाओं को सीधे सरकारी योजनाओं से जोड़ते हैं।
सरकार ने 50 लाख और लाभार्थियों को जोड़कर कुल संख्या 2 करोड़ कर दी। प्रति महिला ₹2,000 का मासिक हस्तांतरण ₹48,000 करोड़ का वार्षिक बोझ होता।
बजट में इस भारी राशि को संभालना मुश्किल था। इसलिए सरकार ने जीविका से जुड़ी महिलाओं को एकमुश्त ₹10,000 देने का फैसला किया।
जीविका को सरकारी धनराशि के प्रबंधन में जवाबदेही के मजबूत सिस्टम के लिए चुना गया। योजना के छह महीने बाद समीक्षा की जाएगी।
जिन महिलाओं को और सहायता की जरूरत होगी, उन्हें अतिरिक्त ₹2 लाख मिल सकते हैं। यह राशि ₹50,000 की चार किश्तों में दी जाएगी।
सरकार ने व्यवसाय के प्रकार का खुलासा करना अनिवार्य नहीं किया है। अगर धनराशि उद्यमशीलता के लिए इस्तेमाल नहीं होती तो वापसी भी नहीं मांगी जाएगी।
26 सितंबर को प्रधानमंत्री ने 75 लाख महिलाओं को ₹10,000 हस्तांतरित किए। इस पर सरकार को ₹7,500 करोड़ का खर्च आया।
3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री 25 लाख और महिलाओं को धनराशि देंगे। 24 अक्टूबर को एक और चरण होगा। हस्तांतरण 19 दिसंबर तक जारी रहेंगे।
अब तक योजना के लिए ₹15,000 करोड़ आवंटित किए गए हैं। अगर 50 लाख और महिलाओं को शामिल किया गया तो यह राशि ₹20,000 करोड़ तक पहुंच सकती है।
चरणबद्ध हस्तांतरण कार्यक्रम इसलिए बनाया गया है ताकि चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद भी योजना जारी रहे। यह योजना महिला उद्यमियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।