
नई दिल्ली में 16 जून को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि Bioenergyअगले पांच वर्षों में भारत की जीवाश्म ईंधन खपत का 50 प्रतिशत कवर कर सकती है। इस दौरान उन्होंने ऑटोमोबाइल उद्योग से वैकल्पिक ईंधनों पर अनुसंधान और विकास करने की अपील की।
मंत्री गडकरी ने भारत स्कूल फॉर डिज़ाइन ऑफ ऑटोमोबाइल्स के ‘भूमिपूजन कार्यक्रम’ में कहा कि जीवाश्म ईंधन के कारण वायु प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा बन गया है। उन्होंने बताया कि परिवहन क्षेत्र भारत में वायु प्रदूषण का 40 प्रतिशत जिम्मेदार है।
उन्होंने यह भी बताया कि ईंधन और ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में काफी अनुसंधान और नवाचार चल रहा है। गडकरी ने कहा, “हमें हमारी पारिस्थितिकी और पर्यावरण की रक्षा करने की आवश्यकता है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को पूरा करना है कि भारत एक कार्बन-न्यूट्रल देश बने।”
गडकरी ने कहा कि बायोएनेर्जी का उपयोग भारत के जीवाश्म ईंधन की खपत को 50 प्रतिशत तक कवर कर सकता है, जो बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में जीवाश्म ईंधन के आयात पर 22 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
भारत विभिन्न प्रकार के ईंधनों पर काम कर रहा है, जैसे कि एथेनॉल, फ्लेक्स इंजन, मिथेनॉल, बायोडीज़ल, बायो LNG, CNG, इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन। उन्होंने बताया कि वर्तमान में पेट्रोल में एथेनॉल का 20 प्रतिशत तक मिश्रण किया जा रहा है।
गडकरी ने आगे कहा, “ऑटोमोबाइल उद्योग का भविष्य बहुत अच्छा है और आज नए अनुसंधान के लिए विशाल संभावनाएं हैं।” उन्होंने घरेलू ऑटोमोबाइल क्षेत्र की महत्त्वता पर भी ज़ोर दिया और बताया कि इस क्षेत्र ने करोड़ों नौकरियां बनाई हैं और निर्यात को बढ़ावा दिया है।
उन्होंने कहा, “यह वह उद्योग है जिसने 3 लाख करोड़ रुपये का अधिकतम निर्यात किया है, जो हमारे देश के लिए आर्थिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। यह पहले ही युवा प्रतिभाओं के लिए 4.5 करोड़ नौकरियां पैदा कर चुका है।”
गडकरी ने बताया कि बजाज, TVS और हीरो जैसे कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता का 50 प्रतिशत निर्यात करती हैं। उनकी इस टिप्पणी से साफ है कि बायोएनेर्जी और जीवाश्म ईंधन के विकल्पों के उपयोग से भारत न सिर्फ अपने ऊर्जा संकट को हल कर सकता है, बल्कि आर्थिक विकास को भी बढ़ावा दे सकता है।
ऑटोमोबाइल उद्योग के बढ़ते कदम और बायोएनेर्जी के उपयोग से भारत का भविष्य उज्जवल दिखाई देता है। यदि हम सही दिशा में काम करें, तो आने वाले वर्षों में हम कार्बन उत्सर्जन में कमी लाकर एक स्थायी और हरित भारत की ओर बढ़ सकते हैं।