
काशी इस साल 5 नवंबर को विश्वास, संस्कृति और आधुनिक technology का अद्भुत संगम देखने जा रही है। देव दीपावली के अवसर पर गंगा घाट दस लाख दीयों से जगमगाएंगे। साथ ही 3D प्रोजेक्शन शो और पर्यावरण अनुकूल हरित पटाखों का आयोजन होगा।
उत्तर प्रदेश पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि यह देव दीपावली काशी को सबसे सुव्यवस्थित रूप में प्रस्तुत करेगी। उन्होंने कहा कि इस साल 2025 की पहली छमाही में ही 13 करोड़ से अधिक पर्यटक वाराणसी आ चुके हैं।
रोशनी का यह विशाल आयोजन 88 प्रमुख घाटों पर आठ लाख दीयों से सजेगा। इन्हें 83 स्थानीय समितियों द्वारा प्रबंधित किया जाएगा। शहर के 97 अन्य स्थानों पर दो लाख अतिरिक्त दीये जलाए जाएंगे।
मुख्य मार्गों, नदी किनारे की दीवारों और सरकारी कार्यालयों को भी रोशनी से सजाया जाएगा। आठ प्रमुख घाटों पर सामूहिक गंगा आरती का आयोजन किया जाएगा।
इनमें दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट और नमो घाट शामिल हैं। सभी घाटों पर एक साथ आरती होगी जिससे spiritual experience और बढ़ जाएगा।
शाम 7:30 बजे technology का प्रमुख आकर्षण ‘काशी कथा’ 3D प्रोजेक्शन और लेजर शो शुरू होगा। इसके बाद 8:00 बजे गंगा द्वार के पास दस मिनट तक हरित पटाखों का प्रदर्शन होगा।
पर्यटन विभाग ने घाटों और विपरीत किनारे को 20 सेक्टरों में बांटा है। प्रत्येक सेक्टर के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की गई है।
इससे भीड़ प्रबंधन और दीयों के वितरण व प्रज्वलन में सहायता मिलेगी। यह grand festival स्थानीय empowerment को भी बढ़ावा दे रहा है।
हजारों कुम्हार परिवार और महिला स्वयं सहायता समूह दीया निर्माण प्रक्रिया में शामिल हैं। मंत्री ने इसे inclusive growth का प्रतीक बताया।
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग इस देव दीपावली पर rural tourism को बढ़ावा दे रहा है। वाराणसी और जौनपुर जिले के चयनित गांवों में पारंपरिक उत्सव आयोजित किए जाएंगे।
मधोपुर, चंद्रावती, उमराह और रहाती गांवों में विशेष कार्यक्रम होंगे। मधोपुर के शूलटंकेश्वर महादेव मंदिर घाट पर मुख्य ग्रामीण समारोह होगा।
यहां 500 स्थानीय दीयों से नदी किनारे को रोशन किया जाएगा। शूलटंकेश्वर महादेव की कथा पर heritage storytelling session भी आयोजित की जाएगी।
अम्बेडकर नगर के श्रवण धाम, चुइतिपाड़ा में एक और बड़ा regional celebration होगा। यहां 21,000 से अधिक दीये जलाए जाएंगे।
भजन संध्या, लोक नृत्य और रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। यह भक्ति और ग्रामीण कला का जीवंत मेल होगा।
पर्यटक सामूहिक गंगा आरती में शामिल हो सकते हैं। काशी कथा शो के लिए 7:30 PM, 8:30 PM या 9:30 PM का समय नोट कर लें।
हरित पटाखों का प्रदर्शन रात 8:00 बजे होगा। देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है जो मुख्य दीवाली के पंद्रह दिन बाद आती है।
इसे ‘देवताओं की दीवाली’ कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवता काशी में गंगा स्नान के लिए अवतरित होते हैं।
इस पर्व की पौराणिक महत्ता भगवान शिव के त्रिपुरासुर नामक राक्षस पर विजय से जुड़ी है। इस जीत के कारण शिव को ‘त्रिपुरारी’ कहा जाता है।
यह दिव्य शक्ति की बुराई पर जीत का प्रतीक है। यह cosmic celebration घाटों पर deepdan के रूप में दोहराई जाती है।
लाखों दीये जलाकर भगवान शिव और पवित्र गंगा नदी को सम्मान दिया जाता है। यह परंपरा राष्ट्रीय स्मरण के act में भी विकसित हुई है।
देश के शहीदों को ceremonial tributes दी जाती हैं। 5 नवंबर को वाराणसी में मौसम अनुकूल रहने की उम्मीद है।
दिन धूप भरा और रात साफ रहेगी जो रोशनी और पटाखों के display देखने के लिए आदर्श है। दिन का अधिकतम तापमान 29°C और रात का न्यूनतम 20°C रहने का अनुमान है।
बारिश की 0% संभावना है जो उत्सव को और भी सुखद बना देगी।










