
Harmanpreet and Mitali raaj
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हारमनप्रीत कौर ने आईसीसी महिला विश्व कप जीतने के बाद अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने इस ऐतिहासिक जीत को दिग्गज खिलाड़ियों झूलन गोस्वामी और मिताली राज के साथ साझा करने के अनुभव को साझा किया।
नवी मुंबई में दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर भारत ने पहली बार महिला विश्व कप ट्रॉफी अपने नाम की। मैच के बाद टीम ने ट्रॉफी मिताली और झूलन को सौंपी, जिन्होंने भारतीय महिला क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी।
हारमनप्रीत ने बताया कि झूलन दी उनकी सबसे बड़ी सपोर्ट रही हैं। जब वह पहली बार टीम में आईं, तब झूलन टीम की कप्तान थीं। उन्होंने हारमनप्रीत के शुरुआती दिनों में उनका मार्गदर्शन किया।
हारमनप्रीत ने यह भी याद किया कि कैसे अंजुम चोपड़ा ने उन्हें शुरुआती दौर में सपोर्ट किया। वह हमेशा उन्हें अपनी टीम के साथ लेकर चलती थीं। उनसे सीखी गई बातों को हारमनप्रीत ने अपनी टीम तक पहुंचाया।
इन दोनों दिग्गज खिलाड़ियों का सपोर्ट हारमनप्रीत के लिए बेहद खास रहा। वह इस खास पल को उनके साथ साझा कर पाने के लिए आभारी हैं। यह एक बेहद भावुक क्षण था जिसका सभी को लंबे समय से इंतजार था।
मैच के दौरान जब दक्षिण अफ्रीका वापसी कर रही थी, तब हारमनप्रीत ने टीम को विश्वास बनाए रखने का संदेश दिया। लौरा वोल्वार्ड्ट और एनरी डर्कसेन की साझेदारी के दौरान उन्होंने टीम को प्रोत्साहित किया।
हारमनप्रीत ने टीम से कहा कि वे मेहनत का फल जरूर मिलेगा। वनडे क्रिकेट लंबा फॉर्मेट है और इसमें वापसी के कई मौके आते हैं। उन्होंने खिलाड़ियों को सकारात्मक रवैया अपनाने के लिए प्रेरित किया।
शफाली वर्मा के टीम में शामिल होने और फाइनल में उनके शानदार प्रदर्शन पर हारमनप्रीत ने कहा कि यह सब भाग्य था। उन्होंने शफाली को कभी रिप्लेसमेंट प्लेयर की तरह महसूस नहीं होने दिया।
जब प्रतिका रावल चोटिल हुईं, तो पूरी टीम दुखी थी। इससे पहले यास्तिका भाटिया के टूर्नामेंट से बाहर होने पर भी सभी भावुक हो गए थे। यह टीम एक दूसरे के लिए प्रार्थना करती है और हर स्थिति में साथ रहती है।
हारमनप्रीत ने कहा कि टीम ने सभी चुनौतियों को सकारात्मक तरीके से लिया। टूर्नामेंट से पहले और बीच में चोटों के बावजूद सभी का फोकस ट्रॉफी पर था। उन्होंने दिन-रात मेहनत की और यह नतीजा सामने आया।
मैच में दक्षिण अफ्रीका ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुनी। स्मृति मंधना और शफाली वर्मा की शतकीय साझेदारी ने भारत को मजबूत शुरुआत दिलाई। शफाली ने 87 रनों की शानदार पारी खेली।
कप्तान हारमनप्रीत कौर और दीप्ति शर्मा की 52 रनों की साझेदारी ने भारत को 200 रनों के पार पहुंचाया। दीप्ति और रिचा घोष के अंतिम दौर के प्रयासों से भारत ने 50 ओवर में 298 रन बनाए।
दक्षिण अफ्रीका की पारी में लौरा वोल्वार्ड्ट ने शानदार शतक जड़ा। उन्होंने एनरी डर्कसेन के साथ 61 रनों की साझेदारी की। लेकिन दीप्ति शर्मा के शानदार गेंदबाजी ने मैच का रुख बदल दिया।
दीप्ति ने विश्व कप फाइनल में पहली भारतीय महिला गेंदबाज के रूप में चार विकेट लिए। उन्होंने अंततः पांच विकेट हासिल कर टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाई। दक्षिण अफ्रीका की टीम 246 रनों पर सिमट गई।
यह जीत भारतीय महिला क्रिकेट के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि साबित हुई। टीम ने पहली बार विश्व कप ट्रॉफी अपने नाम की और नया इतिहास रचा।










