
इस साल भारत में कई टैक्सपेयर्स को अपना इनकम टैक्स रिफंड मिलने में देरी का सामना करना पड़ सकता है। देरी की मुख्य वजहें हैं ITR 2 और ITR 3 फॉर्म का अभी तक जारी नहीं होना और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के ऑनलाइन सिस्टम में हो रहे अपग्रेड्स। हालांकि नॉन ऑडिट केसेस के लिए फाइलिंग की अंतिम तिथि बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दी गई है, पर लोग अब चिंतित हैं कि उन्हें रिफंड वास्तव में कब मिलेगा।
क्या है देरी की वजह
4 जुलाई 2025 तक इनकम टैक्स ई फाइलिंग पोर्टल पर ITR 2 और ITR 3 फॉर्म अभी भी उपलब्ध नहीं हैं। ये फॉर्म उन लोगों के लिए जरूरी हैं जिन्हें कैपिटल गेन, मल्टीपल इनकम सोर्सेज या बिजनेस व प्रोफेशनल इनकम है। चूंकि ये फॉर्म अभी उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए जिन टैक्सपेयर्स को इनकी जरूरत है वे अपना रिटर्न फाइल नहीं कर पा रहे। इससे इन समूहों के लिए पूरी रिफंड प्रक्रिया पीछे खिसक रही है।
फाइनेंस एक्ट 2024 के बाद फॉर्म्स में किए गए बड़े बदलाव और बैकएंड सिस्टम्स में चल रहे तकनीकी अपग्रेड्स मुख्य वजह हैं। ई फाइलिंग साइट रिटर्न प्रोसेसिंग या रिफंड से जुड़ी अपडेटेड जानकारी भी नहीं दिखा रही, जिससे भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इन फॉर्म्स के जारी होने में देरी का मतलब है रिफंड में भी देरी जो लोगों के फाइनेंशियल प्लानिंग को मुश्किल बना रही है।
अगर आपने अपने असली टैक्स से 110 प्रतिशत ज्यादा टैक्स चुकाया है तो आपको अतिरिक्त रकम पर 0.5 प्रतिशत प्रति माह का ब्याज मिलेगा। लेकिन अगर आपका टैक्स पेमेंट 100 प्रतिशत से 110 प्रतिशत के बीच है तो आपको कोई ब्याज नहीं मिलेगा। साथ ही रिफंड पर मिलने वाला ब्याज ‘अन्य स्रोतों से आय’ के तौर पर टैक्सेबल होता है, जिससे आपको और कम रकम मिलती है। रिफंड पर मिलने वाला ब्याज बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में काफी कम भी है।
टैक्सपेयर्स को क्या करना चाहिए
टैक्स विशेषज्ञों का सुझाव है कि टैक्सपेयर्स को ITR 2 और ITR 3 फॉर्म्स के जारी होने का इंतजार करते रहना चाहिए और जैसे ही वे उपलब्ध हों अपना रिटर्न फाइल कर देना चाहिए। अतिरिक्त देरी से बचने के लिए रिटर्न को ई वेरिफाई करना और सभी जानकारी सही दर्ज करना सुनिश्चित करें।
हालांकि रिफंड में देरी को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, पर फॉर्म्स और सिस्टम अपग्रेड्स की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर इस साल खासकर ITR 2 और ITR 3 इस्तेमाल करने वालों को रिफंड मिलने में ज्यादा समय लग सकता है।