
भारत नवीनतम वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक में 13 स्थान लुढ़ककर 23वें पायदान पर पहुँच गया है। यह आँकड़ा तीन संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया गया है।
कोयले के उपयोग से बाहर निकलने की कोई समयसीमा तय न कर पाना इस गिरावट का प्रमुख कारण बताया जा रहा है।
क्लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्स 2026 को जर्मनवाच, न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क ने संयुक्त रूप से प्रकाशित किया है। इसे यूएन COP30 जलवायु शिखर सम्मेलन में मंगलवार को जारी किया गया।
यह सूचकांक 63 देशों और यूरोपीय संघ की जलवायु शमन प्रदर्शन का वार्षिक स्वतंत्र मॉनिटरिंग टूल है।
रैंकिंग के अनुसार भारत 61.31 अंकों के साथ 23वें स्थान पर है। पिछले वर्ष की तुलना में देश की स्थिति में significant गिरावट दर्ज की गई है।
सूचकांक में भारत को दुनिया के सबसे बड़े तेल, गैस और कोयला उत्पादक देशों में शामिल किया गया है। देश का प्रदर्शन ‘उच्च’ से घटकर ‘मध्यम’ श्रेणी में आ गया है।
इस वर्ष के CCPI में भारत की गिरावट का मुख्य कारण राष्ट्रीय कोयला निकासी समयसीमा का अभाव बताया गया है। नए कोयला ब्लॉकों की नीलामी जारी रहने को भी चिंताजनक बताया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार जलवायु कार्रवाई की मुख्य माँगें समयबद्ध कोयला चरणबद्ध कमी और अंततः समाप्ति हैं। जीवाश्म सब्सिडी को विकेंद्रीकृत समुदाय-स्वामित्व वाले नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की ओर मोड़ने पर जोर दिया गया है।
दस्तावेज़ में उल्लेख किया गया है कि कोई भी देश शीर्ष तीन स्थानों तक नहीं पहुँच पाया है। ऐसा इसलिए क्योंकि कोई भी देश खतरनाक जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है।
चौथा स्थान डेनमार्क के पास 80.52 अंकों के साथ है। उसके बाद यूके 70.8 अंकों के साथ और मोरक्को 70.75 अंकों के साथ है।
सऊदी अरब 11.9 अंकों के साथ सबसे निचले पायदान पर है। ईरान और यूएसए क्रमशः 66वें और 65वें स्थान पर हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 23वें स्थान पर है और इस वर्ष के CCPI में मध्यम-प्रदर्शन वाले देशों में शामिल है। देश को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जलवायु नीति और ऊर्जा उपयोग में मध्यम और नवीकरणीय ऊर्जा में कम रेटिंग मिली है।
एक विरोधाभासी बयान में दस्तावेज़ कहता है कि भारत एक औपचारिक रणनीति और महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों के साथ जलवायु कार्रवाई पर अपने दीर्घकालिक इरादे का संकेत दे रहा है।
देश ने नीलामी और राजकोषीय उपकरणों के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा तैनाती में तेजी लाई है। CCPI देश विशेषज्ञों ने रिकॉर्ड नीलामी भागीदारी और लगातार गिरते टैरिफ का उल्लेख किया है।
2025 में भारत ने 2030 के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान लक्ष्य से पहले ही गैर-जीवाश्म स्रोतों से स्थापित बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत हासिल करने की सूचना दी।
इस वजह से विशेषज्ञों ने ग्रीन फाइनेंस टैक्सोनॉमी और राष्ट्रीय कार्बन बाजार ढांचे पर काम का अनुकूल उल्लेख किया है।
साथ ही राष्ट्रीय मार्ग अभी भी कोयले में anchored है। कोई राष्ट्रीय कोयला निकासी समयसीमा नहीं है और नए कोयला ब्लॉकों की नीलामी जारी है। जीवाश्म सब्सिडी और बुनियादी ढाँचे के lock-ins बने हुए हैं।
CCPI 2026 के अनुसार देश उन 10 देशों में शामिल है जिनके पास सबसे बड़े विकसित कोयला भंडार हैं। वर्तमान में यह अपने उत्पादन को बढ़ाने की योजना बना रहा है।










