
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को घोषणा की कि भारत जैविक खेती के वैश्विक केंद्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जैविक खेती भारत की मूल और पारंपरिक पद्धति है।
कोयंबटूर में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने यह महत्वपूर्ण बयान दिया। उनके इस संबोधन ने कृषि क्षेत्र में नई उम्मीदें जगाई हैं।
मोदी ने कहा कि जैविक खेती भारत की सदियों पुरानी परंपरा रही है। आधुनिक समय में इसकी प्रासंगिकता और बढ़ गई है।
उन्होंने देशवासियों से जैविक खेती को बढ़ावा देने का आह्वान किया। इससे किसानों की आय बढ़ेगी और पर्यावरण का संरक्षण भी होगा।
प्रधानमंत्री के इस संबोधन का माहौल बेहद उत्साहपूर्ण था। उनके आगमन पर लोगों ने गमछे लहराकर स्वागत किया।
मोदी ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि ऐसा लग रहा था जैसे बिहार की हवाएं तमिलनाडु पहुंच गई हैं। यह टिप्पणी उनकी एनडीए की बिहार में ताजा जीत के संदर्भ में थी।
जैविक खेती के वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जैविक खेती हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। यह पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ तरीका है।
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का उत्साह देखते ही बनता था। उनके गमछे लहराने से पूरा माहौल जीवंत हो उठा था।
मोदी ने कहा कि जैविक खेती के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि होगी। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।
भारत की जैविक खेती की संभावनाएं असीम हैं। दुनिया भर में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है।
प्रधानमंत्री ने किसानों से जैविक तरीके अपनाने का आग्रह किया। इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहेगी।
जैविक खेती के विकास से देश को कई लाभ मिलेंगे। यह कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
मोदी के इस संबोधन ने किसानों में नई ऊर्जा का संचार किया है। जैविक खेती के प्रति उनका उत्साह बढ़ा है।
भारत अब जैविक खेती के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनने की ओर अग्रसर है। यह हमारे देश के लिए गर्व की बात है।










