
नई दिल्ली: भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक नई योजना का ऐलान किया है। इस योजना के तहत वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियां अब आवेदन कर सकती हैं। इस पहल का मकसद देश में इलेक्ट्रिक पैसेंजर कारों के निर्माण को प्रोत्साहित करना है। इसमें आवेदक कंपनियों को आयात शुल्क में भारी छूट मिलेगी, बशर्ते वे घरेलू इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन में निवेश करने का वचन दें।
केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने इस योजना के तहत आवेदन स्वीकार करने वाले पोर्टल का शुभारंभ किया। यह पोर्टल 21 अक्टूबर तक खुला रहेगा। कुमारस्वामी ने स्पष्ट किया कि टेस्ला जैसी इलेक्ट्रिक वाहन दिग्गज कंपनी का फिलहाल भारत में केवल शोरूम खोलने में ही दिलचस्पी है, न कि यहां विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने में।
उन्होंने कहा, ‘टेस्ला की दिलचस्पी सिर्फ शोरूम खोलने तक सीमित है। वे भारत में अपनी कारें बेचना चाहते हैं। इसके अलावा फिलहाल कोई और विकास नहीं हुआ है।’ मर्सिडीज बेंज के अधिकारियों के उस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए जिसमें कहा गया था कि कंपनी इस योजना में निवेश में दिलचस्पी नहीं रखती, कुमारस्वामी ने बताया कि यह लक्जरी कार निर्माता पहले ही बड़े स्तर पर निवेश कर चुका है।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इस योजना के तहत पात्र निवेश आवेदक के लेखा बही में ‘अनुमोदन की तारीख के बाद’ पूंजीकृत किया जाना चाहिए। इसलिए उपकरण और मशीनरी ‘अनुमोदित आवेदक बनने के बाद ही उपयोग में लाई जानी चाहिए।’
मंत्री ने बताया कि 4-5 ऑटो कंपनियों ने योजना में प्रारंभिक रुचि दिखाई है, हालांकि यह देखना बाकी है कि वास्तव में कितनी कंपनियां आवेदन करती हैं। भारी उद्योग मंत्रालय को 15 मार्च 2026 तक आवश्यकतानुसार आवेदन विंडो खोलने का अधिकार होगा।
भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव कामरान रिजवी ने बताया कि योजना के तहत आवेदन करने वाले और कम आयात शुल्क का लाभ उठाने वाले ओईएम को तीन साल के भीतर कम से कम 25 प्रतिशत घरेलू मूल्य वर्धन (डीवीए) के साथ कार लॉन्च करनी होगी और पांच साल में इसे 50 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय जर्मनी, अमेरिका, ब्रिटेन, चेकोस्लोवाकिया सहित सभी देशों जहां प्रमुख ऑटोमोटिव कंपनियां हैं, और उनके दूतावासों को योजना के तहत भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए पत्र भेज रहा है। हालांकि पाकिस्तान और चीन जैसे भूमि सीमा साझा करने वाले देशों पर लागू भारत के निवेश प्रतिबंध जारी रहेंगे।
सरकार द्वारा अधिसूचित नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति के मुताबिक, ऑटोमेकर्स को 8,000 इलेक्ट्रिक वाहन 70-100 प्रतिशत की मौजूदा दर की तुलना में महज 15 प्रतिशत कम शुल्क पर आयात करने की अनुमति मिलेगी, बशर्ते वे स्थानीय इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण में 4,150 करोड़ रुपये के निवेश के प्रति प्रतिबद्ध हों।