
दुबई में एशिया कप सुपरफोर मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को छह विकेट से हराया। लेकिन जीत की खुशी विवादों में घिर गई। पाकिस्तानी खिलाड़ियों के विवादास्पद इशारों ने तूफान खड़ा कर दिया।
साहिबजादा फरहान ने अर्धशतक पूरा करने के बाद अनोखा जश्न मनाया। उन्होंने अपना बल्ला बंदूक की तरह पकड़कर इशारा किया। यह देखकर लोगों ने इसे AK-47 राइफल की नकल बताया।
इसके बाद पाकिस्तानी गेंदबाज हारिस रऊफ ने भी एक संकेत दिया। उन्होंने स्टैंड की ओर मुड़कर 0-6 का हाथों से इशारा किया। कई लोगों ने इसे ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र माना।
ये घटनाएं सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गईं। भारत में राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। मैच का बहिष्कार करने की मांग फिर से उठने लगी।
शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने कहा कि फरहान ने मैदान पर वही दिखाया जो पाकिस्तानी आतंकवादियों ने पहलगाम में किया। उन्होंने कहा कि 26 निर्दोषों को इसी तरह गोलियों से भून दिया गया था।
समाजवादी पार्टी के शरद सरन ने सवाल किया कि देश के इस अपमान के लिए कौन जिम्मेदार है। उन्होंने पाकिस्तानी बल्लेबाज पर पहलगाम हत्याओं का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया।
भाजपा नेता अमित मालवीय ने विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जो लोग बहिष्कार की बात कर रहे थे, वही मैच देख रहे थे और फरहान के नाटक का समर्थन कर रहे थे।
मालवीय ने आगे कहा कि शाहिद अफरीदी ने राहुल गांधी को पहले ही बता दिया था। उन्होंने कांग्रेस की त्वरित प्रतिक्रिया को इसी से जोड़ा।
आम आदमी पार्टी के सौरभ भारद्वाज ने हारिस रऊफ के कृत्य की निंदा की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी खिलाड़ी पूरी दुनिया के सामने भारत का मजाक उड़ा रहा है।
भारद्वाज ने पूछा कि पाकिस्तानियों को इतना बड़ा मंच क्यों दिया गया। उन्होंने कहा कि तुरंत मैदान क्यों नहीं छोड़ा गया। उन्होंने भाजपा सरकार पर पाकिस्तान को वैधता देने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ मैच खेलकर सरकार ने दुनिया को संदेश दिया है कि सब कुछ ठीक हो रहा है। लेकिन उनकी ऐसी हरकतें क्या दिखाती हैं।
राजनीतिक बहस के बीच क्रिकेट मैच भी हुआ। पाकिस्तान ने 172 रन बनाए। भारत ने इस लक्ष्य को आसानी से पार कर लिया।
अभिषेक शर्मा ने 74 रन बनाकर टीम को जीत दिलाई। शुभमन गिल ने 47 रन का योगदान दिया। दोनों ने शानदार शुरुआत करते हुए 105 रन की साझेदारी की।
लेकिन मैच के नतीजे से ज्यादा चर्चा पाकिस्तान के साथ क्रिकेट संबंधों पर होने लगी। यह बहस एक बार फिर तेज हो गई है।
खेल की भावना के विपरीत इशारों ने द्विपक्षीय संबंधों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्रिकेट प्रशासकों के सामने अब बड़ा सवाल है।