
नई दिल्ली: मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और ऊर्जा आपूर्ति में व्यवधान की आशंका के बीच भारत ने घरेलू ईंधन आपूर्ति सुनिश्चित करने के उपायों की घोषणा की है। तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने रविवार को कहा कि अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर हमलों के बाद उभरी स्थिति को देखते हुए भारत पूरी तरह तैयार है।
13 जून को इज़राइल द्वारा ईरान पर हवाई हमले शुरू होने के बाद से ही ऊर्जा बाजार सतर्क थे। विशेष रूप से होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से होने वाली आपूर्ति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यहां से वैश्विक तेल और गैस मांग का लगभग 20% हिस्सा गुजरता है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पुरी ने कहा, “हम पिछले दो हफ्तों से मध्य पूर्व में बदलती भू राजनीतिक स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं… हमने पिछले कुछ वर्षों में अपनी आपूर्ति को विविधतापूर्ण बनाया है और अब हमारी आपूर्ति का बड़ा हिस्सा होर्मुज जलडमरूमध्य से नहीं आता।”
उन्होंने आश्वासन दिया कि भारत की तेल विपणन कंपनियों के पास कई हफ्तों की आपूर्ति उपलब्ध है और वे कई मार्गों से ऊर्जा प्राप्त करती रहेंगी। पुरी ने कहा, “हम अपने नागरिकों को ईंधन की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे।”
दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक और उपभोक्ता देश भारत को अपने 4.8 मिलियन बैरल प्रतिदिन के औसत तेल आयात का आधे से कम हिस्सा मध्य पूर्व से प्राप्त होता है।
पुरी ने स्थानीय समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि यदि आवश्यक हुआ तो भारत अन्य स्रोतों से कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाएगा। उन्होंने कहा, “हम सभी संभावित साझेदारों के संपर्क में हैं… हमारी आशा और अपेक्षा है कि स्थिति शांत और नियंत्रित होगी न कि और अधिक बिगड़ेगी।”
इससे पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन का फोन आया था। भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार इस दौरान ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे संघर्ष के बारे में मोदी को जानकारी दी गई।