
कोच्चि शिपयार्ड ने भारतीय नौसेना को पहला एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट सौंपा है। इस युद्धपोत का नाम ‘माहे’ रखा गया है। यह आठ युद्धपोतों की श्रृंखला में पहला है जिसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है।
गुरुवार को कोच्चि शिपयार्ड में एक समारोह आयोजित किया गया। डॉ एस हरिकृष्णन और कमांडर अमित चंद्र चौबे ने स्वीकृति पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर वरिष्ठ नौसेना अधिकारी और शिपयार्ड प्रतिनिधि मौजूद थे।
यह युद्धपोत डीटी नोर्स्के वेरिटास के वर्गीकरण नियमों के अनुसार बनाया गया है। 78 मीटर लंबा यह जहाज डीजल इंजन-वाटरजेट संयोजन से चलने वाला सबसे बड़ा भारतीय नौसेना युद्धपोत है।
इसकी डिजाइन विशेष रूप से पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए तैयार की गई है। यह जहाज तटीय जल में पनडुब्बी रोधी कार्यों को अंजाम दे सकता है। इसकी उन्नत खान बिछाने की क्षमताएं इसे विशेष बनाती हैं।
इन युद्धपोतों के शामिल होने से भारतीय नौसेना की उथले जल में पनडुब्बी रोधी क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। यह जहाज समुद्री निगरानी और खोज-बचाव अभियानों में भी सक्षम है।
इससे पहले शनिवार को श्रृंखला के छठे युद्धपोत आईएनएस मगदला का जलावतरण किया गया था। रेनू राजाराम ने नौसेना की परंपरा के अनुसार जहाज को जल में उतारा।
वाइस एडमिरल राजाराम स्वामीनाथन इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे। नौसेना और शिपयार्ड के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
सभी आठ युद्धपोत कोच्चि शिपयार्ड द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किए जा रहे हैं। पहले जहाज की डिलीवरी अक्टूबर 2025 के अंत तक की जानी है।
ये एंटी-सबमरीन वॉरफेयर क्राफ्ट भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करेंगे। इनके जलक्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने और खान बिछाने की क्षमताओं का विस्तार होगा।
यह परियोजना भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं का प्रमाण है। स्वदेशी रूप से निर्मित ये युद्धपोत देश के समुद्री हितों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
कोच्चि शिपयार्ड ने इस परियोजना के माध्यम से अपनी तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। कंपनी ने समय सीमा के भीतर पहला युद्धपोत तैयार कर लिया है।
भारतीय नौसेना के लिए यह एक महत्वपूर्ण अधिग्रहण है। तटीय जल में सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए ऐसे विशेषज्ञ जहाजों की आवश्यकता थी।
यह एंटी-सबमरीन वॉरफेयर क्राफ्ट आधुनिक तकनीक से लैस है। इसकी डिजाइन और क्षमताएं इसे तटीय रक्षा के लिए आदर्श बनाती हैं।
भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने की नीति के तहत ऐसे और प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है।
नौसेना के अधिकारी इस परियोजना की प्रगति से संतुष्ट हैं। वे शेष युद्धपोतों के निर्माण की समयसीमा का पालन कर रहे हैं।



