
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य सरकार के 200 रुपये टिकट मूल्य सीमा आदेश पर लगी रोक हटाने से इनकार कर दिया। यह फैसला दो जजों की पीठ ने सुनाया, जिसमें जस्टिस सूरज गोविंदराज और जस्टिस राजेश राय के शामिल थे।
पीठ ने कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स और अन्य संगठनों की अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। इन संगठनों ने टिकट मूल्य सीमा पर लगी अंतरिम रोक हटाने की मांग की थी।
कोर्ट ने मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया को टिकट बिक्री का विस्तृत हिसाब रखने का निर्देश दिया। यह रिकॉर्ड हर महीने की 15 तारीख तक राज्य सरकार को जमा करना होगा।
पीठ ने स्पष्ट किया कि अगर अंतिम फैसला मल्टीप्लेक्स ऑपरेटर्स के खिलाफ जाता है, तो उन्हें ग्राहकों को 200 रुपये से अधिक की राशि वापस करनी होगी। अनुपालन न करने पर अंतरिम सुरक्षा समाप्त हो जाएगी।
मल्टीप्लेक्स को हर शो से पहले कोर्ट के आदेश को प्रदर्शित करना होगा। इससे जनता को पारदर्शिता मिलेगी और सभी को आदेश की जानकारी रहेगी।
नकद में खरीदे गए टिकटों के मामले पर अलग से फैसला होगा। पीठ ने कहा कि यह मुद्दा मुख्य मामले की सुनवाई के दौरान तय किया जाएगा।
सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए गए हैं और सुनवाई स्थगित कर दी गई है। राज्य सरकार ने जन जागरूकता के लिए अंतरिम आदेश को व्यापक रूप से प्रकाशित करने की अनुमति मांगी।
कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स के वकील ने तर्क दिया कि 200 रुपये टिकट कैप जन कल्याण के लिए है। सस्ते टिकट दर्शकों को सिनेमा हॉल तक लाएंगे और फिल्मों की सफलता में मदद करेंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार ने जनहित में कदम उठाया है और कोई संविदात्मक अधिकार उल्लंघन नहीं हो रहा। सामाजिक समानता को बनाए रखने के लिए यह उपाय जरूरी है।
मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कोर्ट को हिसाब किताब के निर्देशों का पालन करने का आश्वासन दिया। उनके वकील ने याद दिलाया कि राज्य ने पहले भी ऐसा आदेश जारी किया था लेकिन बाद में वापस ले लिया।
पीवीआर इनॉक्स और होम्बले फिल्म्स जैसी कंपनियों ने कहा कि यह आदेश उनके व्यवसाय के अधिकार में हस्तक्षेप करता है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) और अनुच्छेद 14 का हवाला दिया।
मल्टीप्लेक्स प्रतिनिधियों ने बढ़ती किराया और बिजली लागत का जिक्र किया। उनका कहना था कि यह आदेश उनकी लाभप्रदता को और कम कर देगा।
इस साल की शुरुआत में राज्य सरकार ने कर्नाटक सिनेमास रेगुलेशन नियम 2025 में संशोधन किया था। इसके तहत पूरे राज्य में सभी फिल्मों के लिए टिकट मूल्य 200 रुपये तय किया गया।
मल्टीप्लेक्स ऑपरेटर्स और प्रोडक्शन हाउसों ने हाईकोर्ट में इस संशोधन को चुनौती दी। उनका तर्क था कि सरकार के पास मूल अधिनियम के तहत टिकट दरें तय करने का अधिकार नहीं है।
यह मामला अब आगे की सुनवाई का इंतजार कर रहा है। दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद कोर्ट अंतिम फैसला सुनाएगा।