
मुंबई। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान एमएस धोनी के 44वें जन्मदिन पर क्रिकेट जगत से तरह तरह की शुभकामनाएं और संदेश आ रहे हैं। पूर्व भारतीय चयनकर्ता किरण मोरे ने भी धोनी के शुरुआती दिनों को याद करते हुए उनकी खास बातें बताईं। मोरे ने घरेलू स्तर पर धोनी की प्रतिभा को पहचानने और राष्ट्रीय टीम में उन्हें मौका देने में अहम भूमिका निभाई थी।
मोरे ने उस समय को याद किया जब 2004 में धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था। उन्होंने बताया कि उस वक्त टीम में सहवाग, गांगुली, तेंदुलकर, द्रविड़, लक्ष्मण जैसे दिग्गज खिलाड़ी थे, लेकिन एक अग्रेसिव प्लेयर की कमी महसूस हो रही थी।
मोरे ने जिओ हॉटस्टार को दिए इंटरव्यू में कहा, “हमें एक ऐसे खिलाड़ी की जरूरत थी जो पावरप्ले का फायदा उठाकर तेजी से रन बना सके। 15 ओवर में रन बना सके और मिडिल ओवर में भी प्रभाव दिखा सके।”
उन्होंने बताया कि धोनी में वह चिंगारी दिखी जो उन्हें खास बनाती थी। मोरे ने कहा, “हमने कई विकेटकीपर्स को मौका दिया, लेकिन धोनी में जो स्पार्क दिखा, मुझे लगा कि यह लड़का कुछ खास है। वह रॉ था, लेकिन हमने उसे चांस दिया।”
यह जोखिम ऐतिहासिक साबित हुआ। धोनी ने भारत को 2007 टी20 वर्ल्ड कप, 2011 वनडे वर्ल्ड कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी जिताने जैसे बड़े मुकाम दिलाए।
अपने शांत स्वभाव और रणनीतिक कौशल के लिए मशहूर धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 17,266 रन बनाए और 829 डिसमिसल किए। वनडे में उनका औसत 50.57 रहा, जबकि वह लोअर ऑर्डर में बल्लेबाजी करते थे।
धोनी ने भारत की कप्तानी में 200 वनडे मैचों में 110 जीते। टी20 में भी उनकी कप्तानी में भारत ने 41 मैच जीते। टेस्ट में वह भारत को नंबर वन रैंकिंग तक ले गए और बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया को वाइटवाश करने वाले पहले भारतीय कप्तान बने।
आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेलते हुए धोनी ने 5,439 रन बनाए और टीम को पांच बार टाइटल दिलाया। उनकी हेलिकॉप्टर शॉट और लाइटनिंग स्टंपिंग आने वाली पीढ़ियों के लिए यादगार बनी रहेगी।
2004 में जब धोनी ने भारतीय टीम में डेब्यू किया था, तब कोई नहीं जानता था कि यह 23 साल का लड़का भारतीय क्रिकेट का सबसे सफल कप्तान बन जाएगा। आज भी स्टेडियम में ‘धोनी धोनी’ के नारे गूंजते हैं और फैंस उनके मैदान में उतरने का इंतजार करते हैं।