
दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ आईआरसीटीसी घोटाले मामले में आरोप तय करने का आदेश दिया। यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले आया है।
अदालत ने कहा कि लालू यादव ने सार्वजनिक सेवक के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया और साजिश रची। उन पर आपराधिक दुराचार और धोखाधड़ी की साजिश का आरोप लगाया गया है।
राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर धोखाधड़ी और साजिश का आरोप तय हुआ है। सभी आरोपियों ने अपने को दोषी नहीं माना है इसलिए अब मुकदमा चलेगा।
सीबीआई ने इस मामले की जांच की थी। आरोप है कि दो आईआरसीटीसी होटलों के रखरखाव के ठेके अनुचित तरीके से दिए गए।
ये होटल बीएनआर रांची और बीएनआर पुरी में हैं। आरोप है कि ठेके सुजाता होटल नामक एक निजी फर्म को दिए गए।
इस फर्म के मालिक विजय और विनय कोचर हैं। आरोपपत्र में कहा गया है कि लालू यादव को पटना में तीन एकड़ जमीन बेनामी कंपनी के जरिए मिली।
अदालत ने कहा कि 77 वर्षीय आरजेडी नेता ने 2004 से 2009 तक रेल मंत्री रहते हुए टेंडर प्रक्रिया में हेराफेरी की।
उन पर टेंडर की पात्रता शर्तों को प्रभावित करने का आरोप है। साथ ही कोचर परिवार से जमीन के प्लॉट कम दाम पर खरीदने की साजिश का आरोप है।
अदालत ने कहा कि लालू यादव ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर इन जमीनों का प्रभावी नियंत्रण राबड़ी देवी और तेजस्वी को हस्तांतरित करवाया।
सीबीआई ने टेंडर प्रक्रिया में बदलाव और लालू यादव के हस्तक्षेप के सबूत पेश किए। इन सबूतों के आधार पर आरोप तय किए गए।
अदालत ने कहा कि जमीन के प्लॉट्स का कम मूल्यांकन और शेयरों का हस्तांतरण राजकोष को भारी नुकसान पहुंचाता है।
विशेष न्यायाधीश विशाल गोग्ने ने कहा कि जमीन के नियंत्रण के हस्तांतरण और कम कीमत पर शेयर आवंटन में कई लोगों की साजिश का गंभीर संदेह है।
सुनवाई के दौरान लालू यादव के वकील ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप तय करने के लिए कोई सामग्री नहीं है। उन्हें रिहा किया जाना चाहिए।
उन्होंने दावा किया कि लालू यादव की ओर से कोई अनियमितता नहीं की गई। टेंडर निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से दिए गए थे।
अदालत ने इन तर्कों को स्वीकार नहीं किया और मुकदमा चलाने का फैसला सुनाया। अब यह मामला अगले चरण में जाएगा।










