
महाराष्ट्र सरकार ने पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल शुरू की है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की जयंती 15 अक्टूबर को अब ‘वाचन प्रेरणा दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।
इसका मुख्य उद्देश्य जनता के बीच पढ़ने की आदत को प्रोत्साहित करना है। साथ ही मराठी भाषा के विकास और संरक्षण पर भी ध्यान दिया जाएगा।
इस वर्ष की थीम ‘चला एक पाऊल पुढे, ज्ञानाची भाषा मराठी करूया’ रखी गई है। यह थीम मराठी को ज्ञान की मुख्य भाषा बनाने पर केंद्रित है।
राज्य के सभी मंत्रालयों और सरकारी कार्यालयों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। अर्ध-सरकारी संस्थानों और जिला कलेक्टर कार्यालयों में भी यह दिवस मनाया जाएगा।
सभी कार्यक्रम ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से आयोजित किए जाएंगे। इसकी जानकारी सरकारी विज्ञप्ति में स्पष्ट रूप से दी गई है।
वाचन प्रेरणा दिवस केवल साहित्य तक सीमित नहीं रहेगा। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, प्रबंधन और पर्यावरण जैसे विषय भी इसमें शामिल होंगे।
युवाओं को आकर्षित करने के लिए रोजगारोन्मुखी गतिविधियों पर विशेष जोर दिया जाएगा। कंप्यूटर विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान जैसे विषयों को प्राथमिकता दी जाएगी।
विभिन्न कार्यशालाओं में अनुवाद लेखन और पेशेवर लेखन सिखाया जाएगा। ई-बुक्स और सेल्फ पब्लिशिंग जैसे आधुनिक विषयों को भी शामिल किया गया है।
ऑनलाइन पुस्तक बिक्री और कोड लेखन पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। शॉर्ट फिल्म और डॉक्यूमेंटरी लेखन की कक्षाएं भी लगेंगी।
व्याख्यान, सेमिनार और समूह चर्चाएं आयोजित की जाएंगी। पुस्तक प्रदर्शनियों और ‘मराठी वाचन कट्टा’ के निर्माण पर काम किया जाएगा।
मराठी वर्चुअल और लाइव साहित्यिक सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा। न्यायिक कार्यवाही और सरकारी प्रशासन में मराठी के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।
महाराष्ट्र साहित्य परिषद और मराठवाड़ा साहित्य परिषद जैसे संगठन सहयोग देंगे। विदर्भ साहित्य संघ और कोकण मराठी साहित्य परिषद भी इसमें शामिल होंगे।
दक्षिण महाराष्ट्र साहित्य सभा और मुंबई मराठी साहित्य संघ कार्यक्रमों में सहभागिता निभाएंगे। पुस्तकालयों और कॉलेजों में विशेष आयोजन होंगे।
तकनीकी महाविद्यालयों और डिप्लोमा संस्थानों में पठन संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा। नगर निगमों के अधीन संस्थान भी विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
मराठी भाषा विभाग के सचिव डॉ. किरण कुलकर्णी ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग के संस्थान भी इसमें शामिल होंगे।
मीडिया क्षेत्र में मराठी भाषा के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे भाषा के संरक्षण और प्रसार में मदद मिलेगी।