
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से प्राकृतिक खेती अपनाने का आग्रह किया है। उनका मानना है कि खेती का भविष्य रासायनिक कीटनाशकों से दूर हटकर टिकाऊ और विज्ञान-आधारित विकल्पों को अपनाने में निहित है। यह बात उन्होंने आईसीएआर राष्ट्रीय कृषि कीट संसाधन ब्यूरो (NBAIR) और आईसीएआर राष्ट्रीय पशु चिकित्सा महामारी विज्ञान और रोग सूचना विज्ञान संस्थान (NIVEDI) के दौरे के दौरान कही। इस दौरान उन्होंने अनुसंधान गतिविधियों की समीक्षा की और किसानों से बातचीत भी की।
मंत्री चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन सिर्फ भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना नहीं है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि खेती एक लाभदायक पेशा बने। उन्होंने कहा, “हम पहले से ही गेहूं और चावल में आत्मनिर्भर हैं, और हमारा बासमती निर्यात मजबूत है। अब चुनौती यह है कि किसानों की आय बढ़ाई जाए, साथ ही उनके स्वास्थ्य और पर्यावरण की भी रक्षा की जाए। हम ऐसी किसी भी चीज़ से समझौता नहीं कर सकते जो किसानों को नुकसान पहुंचाए।”
किसानों के संघर्षों पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि गन्ने जैसी फसलें लाल सड़ांध और स्टेम बोरर के संक्रमण से ग्रस्त हैं, जबकि कोयंबटूर में कपास किसान गुलाबी इल्ली जैसे कीटों से जूझ रहे हैं, जिससे बीटी कपास का उत्पादन 50% से भी कम हो रहा है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए प्राकृतिक खेती एक महत्वपूर्ण समाधान के रूप में उभरती है। रासायनिक मुक्त खेती न केवल मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करती है बल्कि मानव स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर है।
शिवराज सिंह चौहान का यह आह्वान ऐसे समय में आया है जब दुनिया भर में टिकाऊ कृषि पद्धतियों की आवश्यकता महसूस की जा रही है। प्राकृतिक खेती, जिसमें जैविक खाद और कीट नियंत्रण के प्राकृतिक तरीकों का उपयोग किया जाता है, इन चुनौतियों का समाधान प्रदान करती है। यह किसानों को महंगे रासायनिक इनपुट पर निर्भरता कम करने में मदद करती है, जिससे उनकी लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है। प्राकृतिक खेती मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने और जैव विविधता को बढ़ावा देने में भी सहायक है।
NBAIR और NIVEDI में अनुसंधान गतिविधियों की समीक्षा करना इस बात पर जोर देता है कि सरकार कृषि में नवाचार और विज्ञान को कितना महत्व देती है। यह संस्थान कीटों और पशु रोगों के प्राकृतिक नियंत्रण पर काम कर रहे हैं, जो प्राकृतिक खेती के लिए महत्वपूर्ण हैं। किसानों के साथ सीधा संवाद करके, मंत्री ने उनकी समस्याओं को समझा और उन्हें प्राकृतिक खेती के लाभों के बारे में जानकारी दी। यह किसानों के लिए एक प्रेरणा है कि वे रासायनिक कीटनाशकों से दूर प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ें।
खेती को लाभदायक और टिकाऊ बनाने के लिए, प्राकृतिक खेती को अपनाना समय की मांग है। यह प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने और किसानों के जीवन में समृद्धि लाने का एक प्रभावी तरीका है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रम और योजनाएं भी किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। यह सुनिश्चित करना कि खेती पर्यावरण के लिए सुरक्षित हो और उपभोक्ताओं के लिए स्वस्थ भोजन उपलब्ध कराए, यही हमारा लक्ष्य है।