
मुंबई के चेंबूर में एक 83 वर्षीय कैंसर पेशेंट को ऑनलाइन ट्रेडिंग स्कैम का शिकार बनाया गया। पल्लवूर पलायिल गोपीदास नामक इस बुजुर्ग से धोखाधड़ी करके 82 लाख रुपये हड़प लिए गए।
यह स्कैम एक फर्जी गवर्नमेंट-एंडोर्स्ड प्लेटफॉर्म ‘फिनाडेक्सा’ के जरिए अंजाम दिया गया। धोखेबाजों ने गोपीदास को फोन करके निवेश का लालच दिया और उन्हें विश्वास दिलाया कि यह प्लेटफॉर्म सरकारी मान्यता प्राप्त है।
स्कैमर्स ने अपनी बात को और भरोसेमंद साबित करने के लिए फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण का एक वीडियो भी शेयर किया। इस वीडियो को देखकर गोपीदास ने प्लेटफॉर्म की प्रामाणिकता पर विश्वास कर लिया।
कई हफ्तों तक गोपीदास ने अपने बैंक अकाउंट से बड़ी रकम ट्रांसफर की। फिनाडेक्सा वेबसाइट पर दिखाए जा रहे फर्जी प्रॉफिट को देखकर उनका विश्वास और मजबूत होता गया।
मामला तब सामने आया जब गोपीदास का बेटा यूके से भारत आया। उसने अपने पिता के बैंक ट्रांजैक्शन में अनियमितताएं देखीं और प्लेटफॉर्म से फंड निकालने की कोशिश की।
फिनाडेक्सा वेबसाइट बिल्कुल अनरिस्पॉन्सिव मिली। यह साफ हो गया कि परिवार एक सुनियोजित स्कैम का शिकार हुआ है।
फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, गोपीदास ने स्कैमर्स के निर्देश पर कई अकाउंट्स में पैसा ट्रांसफर किया था। धोखाधड़ी में व्हाट्सएप और ईमेल के जरिए लगातार कम्युनिकेशन शामिल था।
स्कैमर्स ने support@finadexa.com और arjun.v@finadexa.com जैसे ईमेल आईडी का इस्तेमाल किया। इन डिजिटल कम्युनिकेशन ने गोपीदास के विश्वास को और पुख्ता किया।
8 अक्टूबर 2025 को गोपीदास के निधन के बाद उनकी पत्नी सती गोपीदास ने शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने पहले नेशनल साइबर हेल्पलाइन से संपर्क किया था।
शिकायत में बताया गया कि कैसे स्कैमर्स ने फर्जी गवर्नमेंट एंडोर्समेंट और गलत फाइनेंशियल जानकारी के जरिए गोपीदास को मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावित किया।
फिनाडेक्सा वेबसाइट www.finadexa.com पर कई हफ्तों तक फर्जी प्रॉफिट दिखाए गए। यह देखकर गोपीदास का स्कैम पर भरोसा और मजबूत होता चला गया।
ईस्ट रीजन साइबर पुलिस ने चार अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। आरोपियों में कॉलर अर्जुन वैद्य और वेबसाइट व ईमेल अकाउंट होल्डर्स शामिल हैं।
मामले में आईपीसी और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की relevant धाराएं लगाई गई हैं। अधिकारी अब सस्पेक्ट्स की पहचान के लिए मनी ट्रेल और डिजिटल कम्युनिकेशन ट्रेस कर रहे हैं।
पुलिस फिनाडेक्सा के पीछे काम कर रहे सिन्डिकेट को पूरी तरह बेनकाब करने में जुटी हुई है। इस स्कैम ने ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट के जोखिमों को एक बार फिर उजागर कर दिया है।




