
भारत में ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स अगले 3-5 वर्षों में डेटा, AI और कंप्लायंस जैसे क्षेत्रों में 1 लाख से अधिक नौकरियां पैदा करने वाले हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सेक्टर भारत की डिजिटल इकोनॉमी और वैश्विक स्थिति को बदल सकता है।
ऑनलाइन गेमिंग पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ा है, जिसमें स्मार्टफोन और इंटरनेट डेटा प्लान्स की सुलभता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस सेक्टर के रोजगार सृजन में योगदान देने की संभावना है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेमिंग कम्युनिटी वाला देश है और 2023 में इस सेक्टर ने लगभग 1 लाख कुशल पेशेवरों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिया। 2018 से 2023 के बीच इस सेक्टर में कार्यबल 20 गुना बढ़ा है। ईवाम लॉ एंड पॉलिसी के मैनेजिंग पार्टनर शशांक रेड्डी के अनुसार, इस विकास दर के साथ अगले कुछ वर्षों में 200,000 से 300,000 अतिरिक्त नौकरियां सृजित हो सकती हैं।
रेड्डी ने बताया कि ओपिनियन ट्रेडिंग को भारत में उल्लेखनीय प्रतिक्रिया मिल रही है और प्रोबो एवं एमपीएल ओपिनियो जैसे घरेलू प्लेटफॉर्म इसके अग्रणी हैं। यह सेक्टर 30-35 प्रतिशत प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन को गति देगा साथ ही आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा। प्रगतिशील रेगुलेशन के साथ, जैसे जैसे यह मार्केट परिपक्व होगा, रोजगार सृजन की संभावना कई गुना बढ़ जाएगी। वर्तमान में यह सेक्टर 10,000 से अधिक व्यक्तियों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दे रहा है।
हालिया अनुमानों के अनुसार, भारत में ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स के 50 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं और वार्षिक लेनदेन मूल्य 6 बिलियन डॉलर से अधिक है। 35 से अधिक प्रमुख वैश्विक निवेशकों से लगभग 500 मिलियन डॉलर का फंडिंग जुटाया गया है। 2024-25 के वित्तीय वर्ष में 120 मिलियन डॉलर से अधिक का राजस्व उत्पन्न करने वाले ये प्लेटफॉर्म्स निकट भविष्य में भारी वृद्धि के लिए तैयार हैं।
विनायका मिशन लॉ स्कूल के डीन डॉ. अनंत पद्मनाभन ने रेड्डी के विचारों से सहमति व्यक्त करते हुए कहा, ओपिनियन ट्रेडिंग सेक्टर भारत की टेक टैलेंट और बढ़ती डिजिटल इकोनॉमी को एक साथ लाता है। यह डेटा-आधारित निर्णय लेने के कौशल को बढ़ावा देते हुए उच्च मूल्य वाले करियर का सृजन करेगा। प्रेडिक्शन मार्केट्स का विकास डेटा एनालिटिक्स, AI इंजीनियरिंग और रेगुलेटरी कंप्लायंस जैसे उच्च कौशल क्षेत्रों में रोजगार का एक प्रमुख चालक बनने जा रहा है, जो डिजिटल वर्कफोर्स के विकास में सार्थक योगदान देगा।
इन प्लेटफॉर्म्स के सामाजिक महत्व पर जोर देते हुए डॉ. पद्मनाभन ने आगे कहा, ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स व्यक्तियों को उनके तर्क और राय के आधार पर विभिन्न परिणामों की संभावना पर पोजीशन लेने का अवसर प्रदान करते हैं। इसके माध्यम से यह विचार बढ़ावा मिलता है कि एक सामाजिक सामूहिक के रूप में हम न केवल दृढ़ राय रखते हैं बल्कि उन्हें तर्क के उच्चतम मानकों पर परखते हैं।
प्रेडिक्शन मार्केट्स की विकास क्षमता का अंदाजा अमेरिका के कालशी और पॉलीमार्केट जैसे वैश्विक उदाहरणों से लगाया जा सकता है, जिन्होंने इस मॉडल की स्केलेबिलिटी को प्रदर्शित किया है। वैश्विक ऑनलाइन गेमिंग मार्केट, जिसका वर्तमान मूल्य 87 बिलियन डॉलर है, 2033 तक 230 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इसी प्रकार, भारत का ऑनलाइन गेमिंग मार्केट 2028 तक 7.6 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, जो 2023 से 2028 के बीच 14.5 की सीएजीआर से बढ़ रहा है।
2 बिलियन डॉलर मूल्य वाली कालशी ने प्रेडिक्शन मार्केट्स की वैधता और विकास को बढ़ाने के लिए रॉबिनहुड जैसे वित्तीय सेवा प्रदाताओं के साथ रणनीतिक साझेदारी की है। वहीं, पीटर थिएल जैसे निवेशकों द्वारा समर्थित पॉलीमार्केट ने X (पूर्व में ट्विटर) के साथ साझेदारी की है, जो दर्शाती है कि प्रेडिक्शन मार्केट्स सोशल मीडिया के साथ कैसे जुड़कर व्यस्तता और वास्तविक दुनिया की जानकारी को बढ़ावा दे सकते हैं।
ये वैश्विक घटनाक्रम भारतीय ओपिनियन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स के लिए भारी स्केलेबिलिटी संभावनाएं प्रस्तुत करते हैं।
डॉ. पद्मनाभन ने कहा, जैसे जैसे भारत का ओपिनियन ट्रेडिंग सेक्टर परिपक्व होगा, इसका प्रभाव रोजगार सृजन से कहीं आगे तक होगा। ये प्लेटफॉर्म्स भारत की लोकतांत्रिक भावना, तकनीकी कौशल और आर्थिक महत्वाकांक्षा का संगम हैं। सामूहिक बुद्धिमत्ता का पैमाने पर उपयोग करके प्रोबो और एमपीएल ओपिनियो जैसे घरेलू प्लेटफॉर्म्स इस बात को बदल सकते हैं कि राष्ट्र कैसे ट्रेंड्स का पूर्वानुमान लगाते हैं, जोखिमों का आकलन करते हैं और डेटा-आधारित निर्णय लेते हैं। आने वाले वर्ष यह परखेंगे कि क्या भारत अपनी प्रारंभिक गति को इस उभरते क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व में बदल सकता है और अपनी जनता की सामूहिक बुद्धिमत्ता को वैश्विक स्तर पर रणनीतिक लाभ में परिवर्तित कर सकता है।