
पटना में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इंडिया गठबंधन के प्रस्ताव को ठुकराने के बाद अब असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में अपनी यात्रा की घोषणा की है।
Seemanchal Nyay Yatra
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी 24 सितंबर से बिहार के मुस्लिम बहुल इलाके में ‘सेमांचल न्याय यात्रा’ शुरू करने जा रहे हैं।
यह चार दिनों तक चलने वाली यात्रा होगी। इसमें ओवैसी किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया जिलों में रोडशो और जनसभाएं आयोजित करेंगे।
ओवैसी मुख्य रूप से उन्हीं निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा करेंगे जहां से उनकी पार्टी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में चुनाव लड़ा था।
एआईएमआईएम के बिहार प्रभारी अख्तरुल इमान ने यात्रा का विवरण साझा किया। उन्होंने बताया कि पहले दिन यह अभियान किशनगंज, ठाकुरगंज और बहादुरगंज को कवर करेगा।
दूसरे दिन यह कोचाधामन, जोकीहाट, अररिया और पूर्णिया से होकर गुजरेगा। कटिहार, अररिया और पूर्णिया जिलों के अन्य निर्वाचन क्षेत्रों को भी इस अभियान के दौरान कवर किया जाएगा।
इमान ने फोन पर बताया कि जनसभाएं आयोजित की जाएंगी। इसके अलावा क्षेत्र में अपने समर्थन आधार को मजबूत करने के लिए रोडशो की योजना बनाई गई है।
अभियान के दौरान ओवैसी सेमांचल क्षेत्र की पिछड़ेपन के मुद्दे को उजागर करने की उम्मीद है।
यह यात्रा राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सेमांचल क्षेत्र में हो रही है। इस क्षेत्र में ओवैसी की पार्टी पहले से ही सक्रिय है।
2020 के चुनाव में एआईएमआईएम ने इस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया था। पार्टी ने पांच सीटें जीती थीं और राजनीतिक भूचाल ला दिया था।
ओवैसी की यह यात्रा स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित होगी। सेमांचल के विकास और न्याय के सवालों को उठाया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह यात्रा ओवैसी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं का हिस्सा है। बिहार में उनकी पार्टी अपनी उपस्थिति मजबूत करना चाहती है।
इंडिया गठबंधन से इनकार के बाद ओवैसी ने स्वतंत्र रणनीति अपनाई है। यह यात्रा उसी रणनीति का हिस्सा लगती है।
बिहार की राजनीति में यह यात्रा नए बदलाव ला सकती है। सेमांचल क्षेत्र में पारंपरिक दलों के लिए चुनौती पैदा हो सकती है।
ओवैसी की यात्रा से राज्य की राजनीतिक समीकरण प्रभावित होने की संभावना है। सभी दलों की नजरें इस यात्रा पर टिकी हैं।